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Gyan ki Baatein : जमीन पर बैठकर खाना खाने के लिए क्यों कहती है दादी-नानी?

Gyan ki Baatein : जमीन पर बैठकर खाना खाने के लिए क्यों कहती है दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 26 फरवरी (ट्रिन्यू)

दादी और नानी अक्सर बच्चों को या परिवार के अन्य सदस्यों को जमीन पर बैठकर खाना खाने की सलाह देती हैं। इसके पीछे उनके अनुभव और कुछ धार्मिक, सांस्कृतिक व शारीरिक कारण होते हैं। यह एक परंपरा भी है जिसे कई लोग आज भी निभाते हैं। अक्सर आपने दादी-नानी को भी कहते हुए सुना होगा कि जमीन पर बैठकर खाना खाओ... चलिए आपको बताते हैं कि जमीन पर बैठकर क्यों भोजन करना चाहिए।

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सांस्कृतिक व पारंपरिक कारण

भारतीय संस्कृति में भूमि को पवित्र माना जाता है। पुराने समय में दादी-नानी यह मानती थीं कि जब हम भूमि पर बैठकर खाना खाते हैं तो हम पृथ्वी से जुड़ाव महसूस कराता है। इसी कारण से यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। दादी-नानी बच्चों को यह समझाती थीं कि यह न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी लाभकारी है।

क्या कहते हैं शास्त्र?

हिंदू धर्म में भूमि को पवित्र माना जाता है और इसे देवी-देवताओं का वास माना जाता है इसलिए खाने से पहले जमीन पर बैठकर भोजन करना एक प्रकार से उस स्थान की पवित्रता और आत्मिक शुद्धता की ओर संकेत करता है। ऐसा माना जाता है कि बिस्तर बैठकर भोजन करने से भगवान नाराज हो जाते हैं।

संस्कार और विनम्रता

जमीन पर बैठकर खाना खाने से संस्कार और विनम्रता भी बढ़ती है। यह आदत बच्चों को यह सिखाती है कि हर काम को सम्मान और ध्यान के साथ करना चाहिए। यह एक संकेत होता है कि हम जो भी कर रहे हैं, वह शांति और संतुलन के साथ किया जाए। यह अनजाने में बच्चों में सादा जीवन और उच्च विचार की भावना पैदा करता है।

परिवार के साथ समय बिताना

जब हम जमीन पर बैठकर खाते हैं, तो यह परिवार के साथ बैठकर खाने का एक अच्छा अवसर बनता है। एक ही स्थान पर बैठकर सभी सदस्य भोजन करते हैं, जिससे परिवार में एकता बढ़ती है।

स्वास्थ्य के लाभ

जमीन पर बैठकर खाना खाने से शारीरिक लाभ होते हैं। जब हम जमीन पर बैठते हैं, तो हमारे शरीर की मुद्रा सही होती है। ऐसा करने से पेट पर दबाव कम पड़ता है और भोजन अच्छे से पचता है। जमीन पर बैठने से शरीर का संतुलन बेहतर रहता है, जिससे आंतरिक अंगों को बेहतर कार्य करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, जब हम सीधे बैठते हैं, तो शरीर का खून का संचार भी बेहतर तरीके से होता है।

ध्यान केंद्रित करना

जमीन पर बैठकर खाना खाने से एक तरह की एकाग्रता विकसित होती है। यह आदत बच्चों में भी ध्यान और एकाग्रता को बढ़ावा देती है। खाने के दौरान बच्चे या बड़े, किसी अन्य काम में ध्यान नहीं लगाते, बल्कि भोजन पर पूरा ध्यान देते हैं। यह खाने की आदत को सम्मानित करता है और खाने के महत्व को बढ़ाता है।

सांस लेने में मदद

जब हम जमीन पर बैठते हैं, तो सांस लेने में कोई अड़चन नहीं होती। पेट पर दबाव नहीं पड़ता और श्वसन क्रिया में कोई रुकावट नहीं आती। यह हमारी शारीरिक स्थिति को सुधारता है और पाचन क्रिया को सहज बनाता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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