Gyan Ki Baat : तीन लोग शुभ काम के लिए साथ मत जाओ, ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
Gyan Ki Baat : तीन लोग शुभ काम के लिए साथ मत जाओ, ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़ , 1 फरवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : अंधविश्वास सदियों से मानव संस्कृति का हिस्सा रहे हैं और सबसे स्थायी मान्यताओं में से एक यह है कि तीन अंक दुर्भाग्य लाता है। ‘तीन तिगड़ा काम बिगड़ा’ ... आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी। प्राचीन लोककथाओं के अनुसार, शुभ-मांगलिक कार्यों के तीन लोगों का जाना शुभ ननहीं होता। इससे कार्य में किसी तरह की बाधा न उत्पन्न हो हो सकती है।
वैसे तो हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य के लिए ऑड नंबर जैसे 5, 7, 11, 21 आदि को शुभ माना जाता है लेकिन सिर्फ 3 नंबर को ही अपशगुन समझा जाता है। पुराने समय से चली आ रही इस कहावत में दादी-नानी आज भी विश्वास करती हैं और कहती हैं कि शुभ काम के लिए तीन सदस्य मत जाओ, नहीं तो काम नहीं बनेगा। चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों है...
तीन अंक अशुभ क्यों?
हिंदू धर्म में सिर्फ शुभ काम के लिए ही नहीं बल्कि अन्य कामों के लिए भी 3 अंक अच्छा नहीं समझा जाता जैसे तीन रोटी परोसना आदि। दरअसल, 3 अंक मंगल ग्रह का होता है, जिसे टैरो कार्ड में अशुभ ग्रह की माना जाता है। यही वजह है कि सदियों से तीन अंक को अशुभ माना जाता आ रहा है।
3 अंक की धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यतानुसार, पूरी सृष्टि 3 मूलभूत स्तंभ त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश पर आधारित है। वहीं, सृष्टि में संतुलन भी त्रिदेवियों सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती से होती है। पूजा-पाठ के समय भगवान की आरती भी 3 बार उतारी जाती है। मंदिर में परिक्रमा भी 3 बार करनी शुभ मानी जाती है। शिवजी का त्रिशूल भी 3 भागों में बंटा है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।