Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Gyan Ki Baat: आटा गूंथने के बाद क्यों बनाए जाते हैं उंगली के निशान, जानिए दादी-नानी की परंपराओं का महत्व

Gyan Ki Baat: आटा गूंथने के बाद क्यों बनाए जाते हैं उंगली के निशान, जानिए दादी-नानी की परंपराओं का महत्व
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 18 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Gyan Ki Baat: रोजमर्रा में कई ऐसे काम होते हैं, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े हुए हैं। हिंदू धर्म में भोजन को प्रसाद स्वरूप माना गया है इसलिए बड़े-बुजुर्ग इसे लेकर कई नियम बताते हैं उन्हीं में से एक है आटा गूंथना के बाद निशान बनाना।

Advertisement

आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान बनाना भारतीय घरों में अक्सर देखी जाने वाली एक प्रथा है। आपने भी देखा होगा कि आथा गूंथने के बाद महिलाएं उसपर तीन ऊंगली के निशान बना देती हैं। दादी-नानी की सदी से चली आ रही इस परंपरा के पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

शास्त्रों में बताया गया है कि हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। इसमें चावल के आटे से बने गोलाकार 'पिंड' का इस्तेमाल किया जाता है। अनुष्ठान के अनुसार, मृतक को आटे की छोटी-छोटी गोलियां दी जाती हैं, जो आकार में गोल और चिकनी होती हैं। माना जाता है कि ये गोलियां मृतक को स्वर्ग की यात्रा के दौरान तृप्त रखने में मदद करेंगी। चूंकि पिंड गोल होता है कि इसलिए आटे के गोले को पितरों का भोजन माना जाता है।

यही वजह है कि भारतीय गृहिणियां आटे को गूंथने के बाद उसे दबाकर तीन उंगलियों के निशान बनाती हैं, ताकि इसे पिंडदान के भोजन से अलग किया जा सके। उंगलियों के निशान बताते हैं कि आटा मानव उपभोग के लिए है न कि किसी मृत पूर्वज के लिए। इसलिए दादी-नानी आटा गूंथने के बाद उसमें उंगलियों के निशान बनाने को कहती है, ताकि परिवार के लोग उसे खा सके।

मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं प्रतिदिन एक रोटी अपने पूर्वजों के लिए, दूसरी गाय के लिए और तीसरी कुत्ते के लिए निकालती थीं। पूर्वजों, ग्रह पृथ्वी और अन्य जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान दिखाने के लिए इस प्रथा का पालन किया जाता था। देश के कई इलाकों में आज भी इस प्रथा का पालन किया जाता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
×