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Gyan Ki Baat : एकादशी में चावल मत खाना, ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी

Gyan Ki Baat : एकादशी में चावल मत खाना, ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी
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चंडीगढ़, 7 फरवरी (ट्रिन्यू)

Gyan Ki Baat : हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का बहुत महत्व है , जो हर महीने में दो बार आती है... एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस तरह पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं। हर एकादशी पर भक्त व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

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धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूरे नियम और भक्ति के साथ एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा एकादशी के बहुत से नियम आदि भी हैं, जिसका हिंदू समाज के लोग प्राचीन समय से पालन करते आ रही हैं। उन्हीं में से एक हैं एकादशी के दिन चावल का सेवन ना करना।

ऐसी , मान्यता है कि एकादशी के दिन चावलों का सेवन नहीं करना चाहिए। आपके बड़े-बुजुर्गों या दादी-नानी ने भी एकादशी पर चावल खाने पर रोक लगाई होगी। व्रत ना रखने वालों के लिए भी इस दिन चावल का सेवन वर्जित होता है। शास्त्रों में भी इसे वर्जित माना गया है। चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों है...

पहले जानिए फरवरी में पड़ने वाली एकादशी तिथि

शुक्ल एकादशी: 8 फरवरी 2025 को, एकादशी 7 फरवरी को रात 9:26 बजे से शुरू होगी।

कृष्ण एकादशी: 24 फरवरी 2025 को, एकादशी 23 फरवरी को दोपहर 1:55 बजे से शुरू होगी।

एकादशी पर चावल का सेवन क्यों वर्जित?

मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से उस व्यक्ति को अगले जन्म में रेंगने वाले जीव का जन्म मिलता है। हालांकि द्वादशी के दिन चावल खाने से इस योनि से मुक्ति मिलती है। दरअसल, चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन माना जाता है इसलिए एकादशी पर चावल खाना वर्जित होता है।

पौराणिक कथा क्या कहती है?

पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उनके शरीर के अंग धरती में समा गए और बाद में महर्षि मेधा ने उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में जन्म लिया। वह एकादशी तिथि का ही दिन था, जब महर्षि मेधा का अंग धरती में समा गया था इसलिए इस दिन चावल खाना वर्जित है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर है। इसी कारण चावल और जौ को जीवित प्राणी माना जाता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित किया गया है, ताकि एकादशी का व्रत सात्विक रूप से पूरा हो सके।

क्या है ज्योतिषी कारण?

ज्योतिषीशास्त्र के अनुसार, चावल में जल की मात्रा बहुत अधिक होता है और जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। ऐसे में चावल खाने से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मन विचलित और चंचल हो जाता है।इससे व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन की शुद्ध और सात्विक भावना का पालन करना बहुत जरूरी है इसलिए इस दिन चावल या इससे बनी चीजें का सेवन वर्जित होता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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