Gyan Ki Baat : सूर्यास्त के बाद नहीं लगानी चाहिए झाड़ू, जानिए ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
Gyan Ki Baat : सूर्यास्त के बाद नहीं लगानी चाहिए झाड़ू, जानिए ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 29 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : "सूर्यास्त के बाद झाड़ू न लगाएं"... यह पुरानी कहावत सदियों से चली आ रही। ऐसे कई अलग-अलग कारण हैं जिनकी वजह से लोग मानते हैं कि सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना अपशकुन है। आपको भी बचपन से सुनने को मिल रहा होगा कि शाम के समय यानि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। अक्सर ऐसा करने पर दादी-नानी भी टोक देती हैं।
लोगों का मानना है कि सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना अपशकुन है, इसका सबसे आम कारण यह है कि ऐसा माना जाता है कि इससे सौभाग्य और समृद्धि दूर हो जाती है। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से वास्तव में आपके भाग्य या समृद्धि पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ऐसा माना जाता है कि अगर आप शाम को कई दिनों के बाद अपने घर वापिस आ रहे हैं और घर बंद होने की वजह से पूरा घर धूल से ढका हुआ है तो सफाई के लिए झाड़ू का इस्तेमाल न करें। अगर किसी वजह से सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगानी पड़ रही है तो कूड़ा-कचरा या मिट्टी घर के बाहर न फेंके उसे कहीं एक जगह कूड़ेदान में रख दें और सुबह उसे बाहर फेंक दें।
वास्तु के अनुसार, दिन के शुरुआती चार घंटे घर की सफाई के लिए उपयुक्त माने जाते हैं, जबकि दिन के आखिरी चार घंटे यानी रात के समय इस काम के लिए गलत माने जाते हैं। रात के चार घंटों में घर की सफाई करने से घर में नकारात्मकता फैलती है और धन की देवी मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं, जिसका असर घर में धन की आवाजाही पर पड़ता है।
हालांकि रात में झाड़ू लगाना एक आम हिंदू विश्वास है, जो सदियों से चला आ रहा है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि अंधेरा होने के बाद आत्माएं अधिक सक्रिय हो जाती हैं और झाड़ू की आवाज़ से वे परेशान हो सकती हैं। वहीं, ऐसी भी मान्यता है कि शाम के समय कीचड़ बाहर फेंकने से लक्ष्मी घर से बाहर चली जाती है और घर में नकारात्मकता प्रवेश करती है।
इसके पीछे कारण यह है कि हमारे पूर्वज दिन के समय घर की सफाई करना पसंद करते थे क्योंकि उन्हें सूरज की रोशनी मिलती थी और वे किसी कीमती चीज को झाड़कर नष्ट होने से बचाना चाहते थे।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

