एक दिन ग्यारह साल के एक बच्चे ने जिज्ञासावश एयरगन से पक्षियों पर निशाना साधा। एक चिडि़या फड़फड़ाती हुई नीचे आ गिरी। नीले कंठ वाली सुंदर घायल चिडि़या को देखकर बच्चा खुश नहीं हुआ। वह उस चिडि़या का नाम जानना चाहता था। बच्चे की जिज्ञासा उसके मामा भी शांत नहीं कर पाते। बच्चे को बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के डब्ल्यू.एस. मिलार्ड के पास भेजा गया। वह बच्चा मिलार्ड के सामने एक जिज्ञासा के बाद दूसरी जिज्ञासा से प्रश्न पूछता। कई मुलाकातों में सवाल-जवाब का सिलसिला आगे बढ़ता गया। बच्चे की पक्षियों में दिलचस्पी देखकर मिलार्ड प्रभावित हुए। उन्होंने बच्चे के लिए सोसायटी में संरक्षित करके रखे गए पक्षियों का पिटारा खोल दिया। पढ़ने के लिए किताबें दीं। मिलार्ड ने उसे चिडि़याें को संरक्षित करने का हुनर सिखाया। पक्षियों के बारे में मिलार्ड के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत करते हुए बच्चे ने खूब जानकारियां हासिल कीं और दुनिया के महान पक्षी विज्ञानी बने। पक्षियों के प्रति जिज्ञासाओं से भरा वह बच्चा था-सालिम अली, जिसने कई देशों के जंगलों, रेगिस्तानों, घाटियों व पहाड़ों की चोटियों की यात्राएं कीं और पक्षियों के बारे में अनेक प्रकार की दुर्लभ जानकारियां एकत्रित कीं। पक्षियों पर किए गए अध्ययनों के लिए उन्हें बर्ड मैन ऑफ इंडिया के रूप में जाना जाता है। प्रस्तुति : अरुण कुमार कैहरबा