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निर्भीक कर्तव्यनिष्ठा

एकदा
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डॉ. अंबेडकर बड़ौदा राज्य में मिलिट्री सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त थे। एक दिन वे अपने कार्यालय में बैठे थे, तभी एक पेशकार (क्लर्क) उनके पास आया। उसने डॉ. अंबेडकर को एक फाइल दी और कहा कि उस पर हस्ताक्षर करने हैं। डॉ. अंबेडकर ने फाइल को ध्यान से पढ़ा और पाया कि उसमें कुछ गलतियां थीं। उन्होंने पेशकार से कहा कि वह फाइल में सुधार करके लाए। पेशकार ने कहा कि यह फाइल महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने भेजी है और उन्होंने इसे जल्द से जल्द वापस मंगवाया है। डॉ. अंबेडकर ने शांति से कहा, ‘मुझे पता है कि यह फाइल महाराजा की है, लेकिन इसमें गलतियां हैं। मैं गलत फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता। आप इसे सुधार कर लाइए।’ पेशकार ने चेतावनी दी कि ऐसा करने से महाराजा नाराज हो सकते हैं। डॉ. अंबेडकर ने दृढ़ता से कहा, ‘मुझे अपने कर्तव्य से ज्यादा किसी की नाराजगी की चिंता नहीं है। मैं सही काम करूंगा, चाहे परिणाम कुछ भी हो।’ अंततः फाइल में सुधार किया गया और महाराजा ने न केवल इसे स्वीकार किया, बल्कि डॉ. अंबेडकर की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा भी की।

प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार

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