Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

पाप-ताप व शाप से मुक्ति का व्रत

कामदा एकादशी 8 अप्रैल

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को ब्रह्महत्या सहित सभी पापों, दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बेहद लाभकारी माना गया है।

चेतनादित्य आलोक

Advertisement

एकादशी यानी हिंदी महीने की ग्यारहवीं तिथि, जो प्रत्येक महीने में दो बार आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। कामदा एकादशी का व्रत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के ताप, पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। इस एकादशी का इसलिए भी अधिक महत्व है, क्योंकि यह हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी होती है, जो ‘चैत्र नवरात्रि’ अथवा ‘वासंतीय नवरात्रि’ के उत्सव के बाद आती है। उल्लेखनीय है कि इसका एक नाम ‘चैत्र शुक्ल एकादशी’ भी है। इस बार कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को किया जाएगा।

Advertisement

महत्व

‘कामदा’ शब्द वस्तुतः ‘इच्छाओं की पूर्ति’ का प्रतीक है। इस प्रकार, कामदा एकादशी व्रत के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह व्रत मनुष्य की सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाला है। कामदा एकादशी के महत्व का वर्णन ‘वराह पुराण’ सहित अनेक हिंदू शास्त्रों और पुराणों में हुआ है। यह व्रत मनुष्य को अपने भूले-बिसरे उच्च गुणों को पुनः प्राप्त करने तथा व्यक्तित्व को सुधारने में अत्यंत ही सहयोगी होता है। इतना ही नहीं, इस व्रत को करने वाले भक्तों और उनके परिवार वालों की सभी प्रकार के शापों, तापों और पापों से रक्षा होती है। माना तो यह भी जाता है कि विवाहित जोड़े को कामदा एकादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति शीघ्र होती है। यहां तक कि, इस व्रत के पुण्य प्रभाव से भक्त के लिए मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है।

व्रत का अनुष्ठान

कामदा एकादशी का व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। इस दिन व्यक्ति को सूर्यास्त से पहले केवल एक बार भोजन करना चाहिए। गौरतलब है कि एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानी द्वादशी के सूर्योदय तक अर्थात‌् 24 घंटे का उपवास जारी रहता है। द्वादशी तिथि को व्रती द्वारा योग्य ब्राह्मण को भोजन कराने और दक्षिणा आदि प्रदान करने के बाद ही उपवास तोड़ना चाहिए। कामदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान श्रीहरि विष्णु के ही विशिष्ट अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस व्रत में भक्त वैदिक मंत्रों का जाप एवं भगवान श्रीकृष्ण के भजनों का गायन करते हैं। वैसे, व्रत करने वाले भक्तों को ‘कामदा एकादशी व्रत कथा’ अवश्य सुननी चाहिए।

तुलसी चालीसा का पाठ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कामदा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी स्वरूपा माता तुलसी जी की भी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने वाले भक्तों को माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन माता तुलसी जी की पूजा-अर्चना करें और उनके समक्ष ‘तुलसी चालीसा’ का पाठ भी करें।

भगवान को विशेष भोग

भगवान श्रीविष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है, इसलिए कामदा एकादशी के दिन भगवान को पीले रंग की मिठाइयां या मोहनभोग का भोग लगाना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान श्रीविष्णु को दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी से निर्मित ‘पंचामृत’ अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में माता लक्ष्मी जी का वास होता है।

Advertisement
×