Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

त्रिवेणी तट पर सनातन सेना का विस्तार

महाकुंभ में नागा संन्यासियों को दीक्षा दिये जाने की प्रक्रिया शुरू
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
दीक्षारत नागा साधु।
Advertisement

हरि मंगल

महाकुंभ नगर, 19 जनवरी

Advertisement

त्रिवेणी तट पर चल रहे महाकुंभ में नागा संन्यासियों को दीक्षा दिये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी है। मौनी अमावस्या पर होने वाले अमृत स्नान के पूर्व तक यह प्रक्रिया अनपरत चलती रहेगी जिसमें शैव सम्प्रदाय से जुड़े 6 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर अपने अपने अखाड़ों के लिये नागा संन्यासियों को दीक्षित करेेंगे। नागा संन्यासियों को सनातन सेना के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिये प्रत्येक अखाड़े अपने यहां अधिक से अधिक नागा संन्यासी बनाये जाने का प्रयास करते हैं। शैव सम्प्रदाय से जुड़े सात अखाड़ों में से 6 अखाड़ों, महानिर्वाणी, अटल, निरंजनी, आनंद, जूना और आवाहन अखाड़़ों, में नागा संन्यासी बनाये जाते है। शम्भू पंचाग्नि उपाख्य अग्नि अखाड़ा ब्रम्हचारियों का है उसमें नागा संन्यासी नहीं है। प्रयागराज महाकुंभ में नागा संन्यासियों को दीक्षित किये जाने की अगुवायी सबसे बड़े जूना अखाड़े की ओर से की गई है। इसके बाद निरंजनी और अवाहन सहित अन्य अखाड़े अपने अपने संतों को दीक्षा देने की तैयारी कर रहे हैं। लगभग पांच हजार साधुओं को दीक्षा दिये जाने की तैयारी विभिन्न अखाड़ों द्वारा की गई है।

कठिन है प्रक्रिया

आम जीवन में सहज और सरल दिखने वाले इन नागा संन्यासियों के नागा बनने की प्रक्रिया बहुत आसान नहीं है। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के अनुसार नागा संन्यासी बनने से पहले उसे हमारे यहां कम से कम तीन से 6 साल तक प्रशिक्षु संत के रूप में रहना पड़ता है। त्याग और तपस्या की परीक्षा में खरा उतरने पर प्रक्रिया दो दिन की होती है। पहले 24 घंटे की तपस्या। फिर गंगा के तट पर ले जाकर मंत्रोच्चार के बीच 108 बार डुबकी लगवायी जाती है। इसी बीच मुंडन कराकर पिंडदान कराया जाता है। वह अपना तथा अपने माता पिता सहित कुल 7 पीढ़ियों का पिंडदान करता है। फिर गुरु उसकी चोटी काट कर उसके सामाजिक बंधनों को समाप्त कर देता है। कहा जाता है कि उसकी काम वासना को भी किसी नस को खत्म करने की प्रक्रिया के तहत समाप्त किया जाता है।

महिलाओं को भी दी जाएगी दीक्षा

जूना अखाड़े की ओर से कहा जा रहा है कि उनके अखाड़ें में महिलाओं को भी नागा संन्यासी बनाया जायेगा। जूना अखाड़े के महंत चैतन्य शिवपुरी बताते है कि अखाड़े में महिला संन्यासी भी हैं। उनका माई बाड़ा अलग है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में नागा सन्यासियों का अलग आकर्षण है। त्रिवेणी तट पर स्नान के लिये आने वाले श्रद्धालुओं की यह अभिलाषा रहती है कि वह भगवान शिव के इन उपासकों का दर्शन करें।

Advertisement
×