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प्यार के व्यंजन

एकदा
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मार्था जब भी किचन में भोजन पकातीं तो वह एक टिन के डिब्बे को खोलकर देखतीं और फिर उसे वापस बंद कर देतीं। एक दिन उत्सुकतावश बालक बेन मार्था से बोला, ‘आप भोजन बनाते समय रोज इस टिन के डिब्बे मंे से क्या निकालती हैं जो नज़र भी नहीं आता।’ मार्था बोली, ‘बेन इसमें व्यंजन पकाने का एक गुप्त मसाला है। अफसोस कि वह मसाला बाजार में नहीं मिलता। ये मुझे मेरी मां से प्राप्त हुआ है। बेन हैरान होकर बोला, ‘मुझे देखना है कि वह कैसा मसाला है।’ मार्था बोली, ‘अभी नहीं! जब तुम बड़े हो जाओगे, तब देखना।’ अब बेन बड़ा हो चुका था। एक दिन मार्था की तबीयत खराब हो गई। मार्था को अस्पताल में दाखिल करा कर वह उनके सिरहाने बैठा रहा। मार्था बोली, ‘मैं ठीक हूं। जाओ तुम घर जाकर आराम करो।’ वह घर के किचन में देखने गया कि इस समय खाने की कोई चीज मिल सकती है क्या? अचानक उसकी नज़र टिन के डिब्बे पर पड़ी। बेन ने उस डिब्बे के अंदर हाथ डाला। डिब्बे में से उसके हाथ में एक छोटी-सी स्लिप निकली। उस पर लिखा था, ‘जो भी व्यंजन बनाओ, उसमें चुटकी भर प्यार जरूर डाल देना।’ बेन समझ गया कि आखिर क्यों मार्था द्वारा बनाई गई हर चीज स्वादिष्ट लगती थी।

प्रस्तुति : रेनू सैनी

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