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Dhanteras Special : धनतेरस पर क्यों की जाती है भगवान धन्वंतरि की पूजा, आप भी नहीं जानते होंंगे ये पौराणिक कथा

धन्वंतरि को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है

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Dhanteras Special : धनतेरस पर मां लक्ष्मी के अलावा भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, जिन्हें स्वास्थ्य, आरोग्य और आयुर्वेद का देवता माना गया है। धन्वंतरि को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है। हालांकि क्या आप जानते हैं कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा क्योंं की जाती है। चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा...

धनतेरस से जुड़ा पौराणिक कथा

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा ने क्रोध में आकर देवताओं के राजा इंद्र को श्राप दे दिया, जिससे उनकी सारी शक्तियां और तेज नष्ट हो गया। तब देवता दुर्बल होकर दैत्यों से पराजित हो गए और समस्त ब्रह्मांड अंधकार व निराशा में डूब गया। इसके बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी, जिन्होंने उन्हें अमृत प्राप्ति हेतु समुद्र मंथन का मार्ग सुझाया।

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भगवान विष्णु ने उन्हें अमरता प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय सागर मंथन करने के लिए कहा, लेकिन दैत्यों की मदद के बिना ऐसा संभव नहीं था। तब देवता और दानव दोनों मिलकर मंथन करने पर सहमत हो गए। मंदराचल पर्वत को मंथन की छड़ी और वासुकी नाग को दिव्य रस्सी बनाकर सागर मंथन शुरु किया गया।

समुंद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि

सागर मंथन में सबसे पहले हलाहल विष प्रकट हुआ, जिसे भगवान शिव ने पीकर संसार की रक्षा की और नीलकंठ कहलाए। फिर कई दिव्य रत्नों के साथ देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं और अंत में भगवान धन्वंतरि, अपने हाथों में अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर आए। उन्होंने अमरता और आरोग्य का संदेश दिया।

इसलिए धनतेरस पर होती है पूजा

भगवान धन्वंतरि के अमरता वरदान और उपचार से ही पृथ्वी पर स्वास्थ्य व कल्याण का जन्म हुआ। इसी दिन को धनतेरस कहा गया उस दिन के बाद से इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिन इस बात का भी प्रतीक है कि असली "धन" स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण है, न कि केवल भौतिक संपत्ति।

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