Dhanteras Special : अंधेरे में उजाले की लौ... जानें धनतेरस पर हर घर के बाहर क्यों जलता है 'यम दीपक'
यही दिन धन्वंतरि के समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ प्रकट होने का भी माना जाता है
भारत में दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 'धनतेरस' से होती है। इस दिन को ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है। जहां लोग इस दिन सोने-चांदी, कपड़े, झाड़ू, बर्तन आदि सामान की खरीददारी करते हैं वहीं इस दिन रात के समय 'यम दीपक' जलाने की भी परंपरा है। आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको यही बताएंगे कि धनतेरस पर क्यों जलाना चाहिए यम दीपक....
इस दिन धन के देवता भगवान कुबेर, आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यही दिन धन्वंतरि के समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ प्रकट होने का भी माना जाता है। इसीलिए इस दिन स्वास्थ्य और आयु की भी कामना की जाती है। इसी दिन घरों की सफाई और सजावट करके दीपक जलाए जाते हैं, जो आने वाली सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत का प्रतीक हैं।
कैसे शुरु हुई यम दीपक जलाने की परंपरा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा के पुत्र की कुंडली में लिखा था कि उसकी विवाह के चौथे दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी। जब उस युवक का विवाह हुआ तो उसी रात ही यमराज उसे लेने आ गए। उसकी पत्नी को यह भविष्यवाणी पहले से ज्ञात थी। वह अपने पति को सुलाकर रातभर दीपक जलाकर बैठी रही। उसने अपने चारों ओर दीपकों की एक माला बना दी।
साथ ही उसने गीत गाकर और कहानियां सुनाकर पूरी रात यमराज का ध्यान भटका दिया। यमराज युवक की भक्ति और पत्नी की निष्ठा से प्रसन्न होकर उसके प्राण ले जाए बिना ही लौट गए। इस घटना के बाद से ही धनतेरस की रात को 'यम दीपक' जलाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि परिवार के सभी सदस्य दीर्घायु और सुरक्षित रहें।
यम दीपक की परंपरा
धनतेरस की रात को एक विशेष दीपक जलाया जाता है, जिसे "यम दीपक" कहा जाता है। यह दीपक यमराज को समर्पित होता है। इस दीपक को जलाने के पीछे मान्यता है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है।
यम दीपक जलाने की विधि
सूर्यास्त के बाद एक मिट्टी का दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें सूती बाती लगाए। फिर उस दीपक को जलाकर घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रख दें। दीपक के पास कुछ काले तिल भी रखे और दीप जलाते समय "मृत्युनां दण्डपालाय कालेन सह भारत। त्रयोदश्यां दीपदानं, अकालमृत्युं हरतु मे॥" मंत्र का जाप करें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।