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समर्पण की साधना

एकदा
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एक बार वर्ड्सवर्थ अपने मित्र कॉलरिज के साथ शोध कार्य की तल्लीनता में भोजन की सुध खो बैठे। उन्होंने एक जग भरकर जल पिया और लंबी डकार लेकर फिर से अपने काम में जुट गये। कॉलरिज ने याद दिलाया कि आप अठारह घंटे से भूखे हैं। वह बोले, अभी यह जल ही काफी है। वे फिर से उसी तल्लीनता से कागजों के अध्ययन में डूब गये। थोड़ा मिलने पर उसे बहुत मान लेने की उनकी यह आदत कॉलरिज को प्रभावित कर गयी। शेक्सपियर और मिल्टन के बाद वर्ड्सवर्थ अंग्रेजी के तीसरे महाकवि माने जाते हैं। उनकी कुछ कविताएं, विशेष रूप से प्रकृति को समर्पित कविताएं विश्‍व साहित्य की अमूल्य निधि हैं। प्रस्तुति : पूनम पांडे

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