Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

परिस्थिति अनुरूप निर्णय

एकता
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने एकांत में कर्ण से कहा, ‘तुम माता कुंती के पुत्र हो, अंगराज! अपना पक्ष चुनने से पहले तनिक विचार करो।’ कर्ण ने उत्तर दिया, ‘जीवन का अंतिम चरण चल रहा है, केशव! मैं जानता हूं कि इस महाविनाश में मेरी मृत्यु निश्चित है। ऐसे समय में यह कठोर सत्य बताने की क्या आवश्यकता थी? आप दुर्योधन के प्रति मेरी निष्ठा और उसके कारणों को भलीभांति जानते हैं, केशव! मैं अपनी निष्ठा नहीं छोड़ सकता। और क्या अपने मित्र के प्रति निष्ठावान होना धर्म नहीं है?’ श्रीकृष्ण मुस्कुरा उठे। उन्होंने कहा, ‘निष्ठा धर्म का एक अंग होती है, पूरा धर्म नहीं, अंगराज! कोई भी निर्णय परिस्थितियों के आधार पर लेना चाहिए, केवल निष्ठा के आधार पर नहीं। निष्ठा एक स्थायी तत्व है, जबकि परिस्थितियां निरंतर बदलती रहती हैं। पूर्व में लिए गए निर्णयों के आधार पर वर्तमान का संचालन कर विजय प्राप्त करना मनुष्य के लिए कठिन होता है।’ कर्ण ने उत्तर दिया, ‘परंतु, मैं अपना अतीत कैसे भूल जाऊं, प्रभु! मेरा वर्तमान तो मेरे अतीत पर ही टिका है।’ श्रीकृष्ण ने गंभीरता से उत्तर दिया, ‘इतिहास केवल इसीलिए होता है कि मनुष्य पूर्व में हुई गलतियों से सीख ले सके। अतीत से मोह करना मूर्खता के अतिरिक्त और कुछ नहीं। जो व्यक्ति अपनी पूर्व की भूलों से सीखकर सुधार करता है, वही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है।’

प्रस्तुति : राजेंद्र कुमार शर्मा

Advertisement

Advertisement
×