Dadi-Nani Ki Baatein : छत पर आई है छाया, संभल जा बेटा... घर में चमगादड़ का आना क्यों अशुभ मानती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 21 मई (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय परंपरा और जनमान्यता में पशु-पक्षियों की गतिविधियों को अक्सर शुभ-अशुभ संकेतों से जोड़ा जाता है। इनमें से एक पुरानी मान्यता यह भी है कि अगर चमगादड़ घर में घुस जाए तो यह किसी अनहोनी या संकट का संकेत हो सकता है। दादी-नानी अक्सर इस तरह की बातों को बड़े यकीन के साथ बताती हैं लेकिन क्यों? इस विश्वास के पीछे कई सामाजिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं।
क्यों होता है अशुभ?
दादी-नानी की सोच प्राचीन मान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित होती है। भारतीय संस्कृति में कई पशु-पक्षियों को शुभ और अशुभ माना गया है। जैसे उल्लू को लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, लेकिन उसकी आवाज़ को अपशकुन समझा जाता है। वैसे ही, चमगादड़ को अंधकार, रहस्य और मृत्यु से जोड़ा गया है। इसका कारण है कि चमगादड़ रात में सक्रिय होते हैं, उल्टा लटकते हैं, और गुप्त स्थानों में रहते हैं - ये सभी बातें डर और रहस्य की भावना पैदा करती हैं।
क्या कहती है धार्मिक मान्यताएं?
कुछ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में अचानक किसी असामान्य जीव का प्रवेश होना जैसे कि सांप, उल्लू, या चमगादड़ - किसी संकट, बीमारी या मृत्यु का संकेत माना जाता है। दादी-नानी अक्सर इन संकेतों को आने वाले संकट की चेतावनी समझती हैं। खासकर अगर चमगादड़ घर के मंदिर या रसोईघर के पास दिखे, तो उसे बड़ा अपशकुन माना जाता है।
बीमारियां फैलने का रहता है डर
चमगादड़ का चेहरा, आवाज और उड़ान लोगों को सहज रूप से डरावनी लगती है, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को। दादी-नानी का यह डर अक्सर पीढ़ी दर पीढ़ी चला आता है। साथ ही, चमगादड़ बीमारियां फैला सकते हैं, जैसे रेबीज और फंगल संक्रमण। पारंपरिक रूप से लोग इन बीमारियों को नहीं समझते थे, लेकिन उन्हें किसी बुरी शक्ति या बुरी आत्मा का प्रभाव मानते थे।
किसी दुर्घटना का संकेत
ग्रामीण भारत और पुराने घरों में जब अचानक चमगादड़ आ जाए, तो इसे कोई “संकेत” माना जाता है - जैसे किसी की तबीयत बिगड़ने वाली है, कोई दुर्घटना होगी, या कोई बुरी खबर आने वाली है। ऐसे अंधविश्वासों में विश्वास करना एक सामाजिक परंपरा बन गई है।
चमगादड़ का घर में आना वैज्ञानिक रूप से सिर्फ एक जीव का दिशा भटक जाना हो सकता है लेकिन दादी-नानी की नजर में यह उनके जीवन भर की मान्यताओं, धार्मिक विश्वासों और लोककथाओं का असर है इसलिए वे इसे अशुभ मानती हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।