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Dadi-Nani Ki Baatein : दरवाजे पर नींबू-मिर्च लटकाने से बुरी नजर नहीं लगती... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : दरवाजे पर नींबू-मिर्च लटकाने से बुरी नजर नहीं लगती... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 30 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : दादी-नानी अक्सर कहती हैं कि दरवाजे पर नींबू-मिर्च लटकाने से बुरी नजर नहीं लगती। यह परंपरा भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है और पीढ़ियों से चली आ रही है लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है? इसके पीछे केवल अंधविश्वास ही नहीं, बल्कि सामाजिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं।

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बुरी नजर का डर और मानसिक सुरक्षा

भारत सहित कई संस्कृतियों में यह विश्वास है कि किसी की जलन या ईर्ष्या भरी नजर किसी के सुख-समृद्धि को नुकसान पहुँचा सकती है। खासकर जब कोई नया घर बनता है, नया व्यापार शुरू होता है या नई चीजें खरीदी जाती हैं, तो लोग बुरी नजर से डरते हैं। नींबू-मिर्च को दरवाजे पर लटकाकर यह संदेश दिया जाता है कि हम सतर्क हैं और बुरी शक्तियों से सुरक्षित हैं। यह एक तरह की मानसिक सुरक्षा की भावना देता है, जो दादी-नानी जैसे बुजुर्गों के लिए विशेष महत्व रखती है।

नींबू और मिर्च की वैज्ञानिक विशेषता

नींबू और मिर्च में तेज गंध और रसायन होते हैं। पुराने समय में जब कीटनाशकों और सफाई के आधुनिक साधन नहीं थे, तब इनका उपयोग हवा को शुद्ध करने और कीड़े-मकोड़ों को दूर रखने के लिए किया जाता था। नींबू में साइट्रिक एसिड और मिर्च में कैप्सेसिन पाया जाता है, जो कुछ हद तक कीटाणुनाशक गुण रखते हैं। जब हवा में इनकी गंध फैलती है, तो यह कई प्रकार के हानिकारक कीटाणुओं और कीड़ों को दूर रख सकती है। इसलिए दरवाजे पर इसे लटकाना घर की रक्षा का प्रतीक भी माना जाता था।

सांकेतिक चेतावनी

नींबू-मिर्च का दरवाजे पर लटकना यह संकेत भी देता है कि घर में कोई नया कार्य शुरू हुआ है या यह एक शुभ अवसर है। यह एक चेतावनी भी हो सकती है कि घर में ध्यानपूर्वक प्रवेश करें। दादी-नानी मानती थीं कि इससे नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं, क्योंकि उन्हें भ्रमित किया जा सकता है कि यह कोई तांत्रिक उपाय है।

लोक संस्कृति और परंपरा का हिस्सा

यह परंपरा केवल भारत तक सीमित नहीं है; दुनिया के कई हिस्सों में ऐसी प्रतीकात्मक वस्तुओं का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है। जैसे कि ग्रीस में "इविल आई" लटकाया जाता है। दादी-नानी इन परंपराओं को निभाने के माध्यम से सांस्कृतिक पहचान और पारिवारिक मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करती हैं।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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