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Dadi-Nani Ki Baatein : लड़कियां शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाती... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी

लड़कियों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 14 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : "लड़कियां शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ातीं..." — यह बात अक्सर दादी-नानी या बड़ी उम्र की महिलाएं परंपरा व धार्मिक विश्वास के रूप में कहती हैं। इसके पीछे कई धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारण माने जाते हैं। हालांकि समय के साथ इस सोच में बदलाव आ रहा है लेकिन फिर भी यह प्रश्न आज भी कई लोगों के मन में बना हुआ है कि ऐसा क्यों कहा जाता है।

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लड़कियों को क्यों होती है मनाही?

दरअसल, हिंदू धर्म में शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। कुछ धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को 'विरक्त' और 'सन्यासी' रूप में पूजा जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाना एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है जिसे "अभिषेक" कहा जाता है। यह प्रक्रिया पवित्रता, भक्ति और नियमों के साथ की जाती है। परंपराओं के अनुसार, महिलाओं विशेषकर कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मना किया जाता है क्योंकि भगवान शिव को ब्रह्मचारी और योगी माना गया है।

मासिक धर्म से जुड़ी धारणा

पुराने समय में यह भी माना जाता था कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं और इस दौरान मंदिर जाना या पूजा करना वर्जित होता था। यह धारणा धीरे-धीरे पूरे स्त्री समुदाय पर लागू कर दी गई, जिससे यह सोच बनी कि महिलाएं शिवलिंग को न छुएं। हालांकि आज के आधुनिक समाज में इस सोच को वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण से गलत माना जाता है।

माता पार्वती हो जाती हैं नाराज

ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव पर लड़कियों का जल चढ़ाना माता पार्वती को अच्छा नहीं लगता और वह नाराज हो सकती है। दादी-नानी की ऐसी बातें आस्था और विश्वास से जुड़ी होती है इसलिए वे यह बात अगली पीढ़ी को भी सिखाती हैं।

महिलाएं शिवलिंग को क्यों नहीं छू सकतीं?

चूंकि भगवान शिव को एक तपस्वी और ब्रह्मचारी भी माना गया है। इसलिए इस कारण कुछ परंपराओं में माना गया कि स्त्रियों का शिवलिंग को स्पर्श करना वर्जित है, ताकि उनकी तपस्या भंग न हो। शास्त्रों के अनुसार, शादीशुदा पति-पत्नी शिवलिंग को छू सकते हैं। कुवांरी कन्याओं का पवित्र शिवलिंग को सीधे छूना वर्जित माना गया है। अगर कोई महिला तिलक लगाने के लिए शिवलिंग को छूना चाहती है तो उन्हें पहले जल को छूकर प्रणाम करना चाहिए और फिर तिलक लगाना चाहिए।

आधुनिक सोच और बदलाव

हालांकि आज की पीढ़ी धार्मिक परंपराओं को नए नजरिए से देखने की कोशिश करती है। कई विद्वानों और आध्यात्मिक गुरुओं ने भी कहा है कि भगवान शिव सर्वशक्तिमान हैं और उन्होंने कभी स्त्री और पुरुष में भेद नहीं किया। वह तो "अर्धनारीश्वर" के रूप में पूजे जाते हैं, जिसमें आधा शरीर भगवान शिव का और आधा शक्ति यानि माता पार्वती का होता है। इससे यह सिद्ध होता है कि शिव में स्त्री और पुरुष दोनों का समावेश है।

ऐसे में धार्मिकता और भक्ति में स्त्री और पुरुष का भेद नहीं होना चाहिए। अगर भावना सच्ची हो, तो कोई भी भक्त शिव को जल चढ़ा सकता है, चाहे वह लड़की हो या लड़का।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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