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Dadi-Nani Ki Baatein : पैरों में सोने के गहनें मत पहनों, अच्छा नहीं होता... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

पैरों में सोना पहनने के लिए क्यों मना करती हैं दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 22 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय संस्कृति में गहनों का पहनावा न केवल सौंदर्य और आभूषण के लिए होता है बल्कि उसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और कभी-कभी वैज्ञानिक मान्यताएं भी जुड़ी होती हैं। अक्सर आपने सुना होगा कि दादी-नानी या घर की बुजुर्ग महिलाएं यह सलाह देती हैं कि पैरों में सोने के गहनें नहीं पहनने चाहिए। यह बात किसी अंधविश्वास से अधिक एक गहरे अर्थ को समेटे होती है।

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दादी-नानी की ये बातें महज रूढ़िवादी सोच नहीं होतीं बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं का हिस्सा होती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि पैरों में सोना पहनने की मनाही क्यों होती है...

मां लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज

भारतीय परंपरा में सोने को एक पवित्र धातु माना गया है। इसे "देवताओं की धातु" कहा जाता है और यह मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में इसे सिर, गर्दन, हाथ या दिल के पास पहनना शुभ माना जाता है लेकिन पैर में इसे पहनने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि सोने को पैरों में पहनना उसकी पवित्रता का अपमान करना है और इससे मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती हैं।

भगवान विष्णु की प्रिय वस्तु

ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि सोने के आभूषण भगवान श्रीहरि विष्णु को बेहद प्रिय है इसलिए इसे पहनना शुभ माना जाता है। मगर, नाभि या कमर से नीचे सोने के आभूषण पहनने से भगवान विष्णु नाराज होते हैं। इससे आर्थिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

संस्कार और परंपरा

भारतीय समाज में बुजुर्गों की बातों में गहरी सांस्कृतिक समझ छिपी होती है। जब वे यह कहते हैं कि सोना पैरों में मत पहनो, तो इसका संबंध हमारे संस्कारों और परंपराओं से होता है। यह एक तरह से सम्मान और शिष्टाचार की बात है - जैसे हम बुजुर्गों के सामने जूते नहीं पहनते, वैसे ही सोने को पैरों में पहनना सामाजिक रूप से अनुचित माना जाता है।

सम्मान का भाव

सोने को मां लक्ष्मी का स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती है। जब हम सोने को पैरों में पहनते हैं तो यह उस देवी का अपमान माना जाता है। यही कारण है कि दादी-नानी बार-बार यह सिखाती हैं कि सोना पैरों में नहीं पहनना चाहिए , ताकि हम उस भावना को समझें और उसे सम्मान दें।

क्या कहता है आयुर्वेद?

आयुर्वेदिक के मुताबिक, सोना एक गर्म धातु होती है जबकि चांदी ठंडी। शरीर के निचले हिस्सों में ठंडी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए चांदी की पायल और बिछुए पहनने की परंपरा रही है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। सोना अगर पैरों में पहना जाए, तो यह ऊर्जा असंतुलन पैदा कर सकता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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