Dadi-Nani Ki Baatein : बिस्तर पर बैठे-बैठे पैर मत हिलाओ... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
बिस्तर पर बैठकर पैर हिलाना अशुभ माना जाता है...
Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय परिवारों में दादी-नानी सिर्फ घर की बुजुर्ग सदस्य ही नहीं बल्कि परंपराओं, सामाजिक अनुभवों और ज्ञान का पिटारा भी मानी जाती हैं। उनके द्वारा कही गई कई बातें आज वैज्ञानिक नजर से देखने पर अंधविश्वास लग सकती हैं लेकिन उनके पीछे कई तरह के तर्क छिपे होते हैं।
ऐसी ही एक आम बात है कि बिस्तर पर बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाने चाहिए। धार्मिक नजरिए से इसे अशुभ माना जाता है लेकिन वैज्ञानिक तर्क से भी इसे अच्छा नहीं समझा जाता। चलिए जानते हैं कि बैठे-बैठे पैर हिलाने की आदत कैसे नुकसान पहुंचा सकती है।
मानसिक संतुलन का प्रतीक
दादी-नानी के समय में शरीर की गतिविधियों को मन की स्थिति का संकेत माना जाता था। ऐसे में अगर कोई भी बैठकर लगातार पैर हिला रहा है, तो यह मन के बेचैन होने का प्रतीक माना जाता है यानि पैर हिलाने वाला व्यक्ति किसी तनाव में है। इसलिए वे तुरंत टोका करती थीं कि “पैर मत हिलाओ, मन को स्थिर करो। उनके लिए यह शारीरिक अनुशासन ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन का भी प्रतीक था।
पैर हिलाना अशुभ संकेत
ऐसी भी मान्यताएं है कि पैर मत हिलाने से माता लक्ष्मी रूठ जाती है और यह अशुभ संकेत भी समझा जाता है। यही कारण है कि दादी-नानी ऐसा करने से मना करती हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
एक्सर्ट की मानें तो पैर हिलाने की आदत से ‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ भी हो सकता है। लगातार पैर हिलाना कभी-कभी नर्वस सिस्टम की बेचैनी, तनाव,आयरन की कमी, एंग्जायटी जैसी हेल्थ स्थितियों का संकेत भी हो सकता है।
पैर हिलाना एक ‘कॉपिंग मैकेनिज्म’
मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि कई लोग तनाव कम करने के लिए अनजाने में पैर हिलाते हैं, जिसे कॉपिंग मैकेनिज्म भी कहा जाता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

