Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Dadi-Nani Ki Baatein : नमक उधार मत दो, रिश्तों में खट्टास आएगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : नमक उधार मत दो, रिश्तों में खट्टास आएगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 1 मई (ट्रिन्यू)

Advertisement

Dadi-Nani Ki Baatein : "नमक उधार मत दो, रिश्तों में खट्टास आएगी..." यह कहावत भारतीय संस्कृति में काफी प्रचलित है, खासकर दादी-नानी की कहानियों और नसीहतों में। यह सिर्फ एक अंधविश्वास नहीं बल्कि इसमें गहरी सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक समझ छुपी होती है। चलिए जानते हैं कि नमक क्यों उधार देना या लेना नहीं चाहिए।

रिश्तों में 'स्वाद' और नमक का संबंध

नमक केवल एक मसाला नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में यह एक गहरे भावनात्मक और सामाजिक संबंध का प्रतीक माना गया है। नमक जीवन की आवश्यकता है, जो ना सिर्फ भोजन को स्वाद देता है बल्कि यही स्वाद रिश्तों में भी जरूरी होता है। भोजन में जैसे बिना नमक के स्वाद नहीं होता, वैसे ही रिश्तों में भी मिठास और समझदारी बनी रहे, इसके लिए ‘नमक’ यानी सम्मान, ईमानदारी और भावनात्मक जुड़ाव जरूरी होते हैं। अगर यह ‘नमक’ किसी को उधार दे दिया जाए तो ऐसा माना जाता था कि आपके अपने संबंधों का स्वाद कहीं खो सकता है।

उधारी और संबंधों में तनाव

उधारी, चाहे किसी भी वस्तु की हो, रिश्तों में एक असमानता या कर्ज का भाव ले आती है। जब बात नमक जैसी सामान्य वस्तु की होती है और उसे वापस नहीं किया जाता, तो बात छोटी सी होकर भी मन में खटास छोड़ जाती है। दादी-नानी का यह कहना कि "नमक उधार मत दो" एक प्रकार की सावधानी है , ताकि कोई छोटा सा मामला, एक बड़ा विवाद या गलतफहमी न बन जाए।

नमक का सांकेतिक महत्व

नमक सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं है; यह भारतीय समाज में शुद्धता, स्थायित्व और मित्रता का प्रतीक भी रहा है। पुराने समय में "नमक" खाना एक तरह से विश्वास और रिश्ते का प्रतीक माना जाता था। ‘नमक हरामी’ या ‘नमकहलाल’ जैसे शब्द भी इसी से बने हैं, जो यह दर्शाते हैं कि नमक खाना और उसके प्रति ईमानदारी निभाना सामाजिक मूल्य थे।

क्या कहता है वास्तु शास्त्र?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, नमक उधार देना या लेना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे कर्ज और नकारात्मक ऊर्जा आने की संभावना रहती है। हालांकि पितृपक्ष, द्वादशी और अमावस्या के दौरान नमक का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

मां लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज

शास्त्रों के मुताबिक, नमक फ्री में लेने या देने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है। खासकर शाम के समय नमक का आदान प्रदान नहीं करना चाहिए। कभी नमक की चोरी भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि नमक सबसे बड़ा कर्ज होता है, जिसे कभी चुकाया नहीं जा सकता।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

Advertisement
×