Dadi-Nani Ki Baatein : व्रत में लहसुन-प्याज मत खाओ... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
नवरात्रि में क्यों होती है लहसुन-प्याज खाने की सख्त मनाही?
Dadi-Nani Ki Baatein : नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है, जोकि साल में दो बार आता है - चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर)। नवरात्रि का अर्थ होता है “नौ रातें”, और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं और सात्विक आहार का सेवन करते हैं। खासकर इस दौरान लहसुन-प्याज आदि खाने की मनाही होती है। चलिए जानते हैं क्यों...
इसलिए नहीं खाते प्याज-लहसुन
हिंदू धर्म और आयुर्वेद के अनुसार, प्याज और लहसुन को तामसिक भोजन माना जाता है इसलिए इन्हें वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मन में काम, क्रोध, मोह जैसी प्रवृत्तियां बढ़ सकती हैं और पूजा में मन नहीं लग पाता है।
क्या कहता है आयुर्वेदिक?
आयुर्वेद के अनुसार , लहसुन और प्याज शरीर में गर्मी और उत्तेजना पैदा करते हैं। इससे पाचन क्रिया तीव्र कर सकते हैं। आयुर्वेदिक के नियम अनुसार, नवरात्रि के उपवास में हल्का, सुपाच्य और शीतल भोजन किया जाता है, जिससे शरीर और मन दोनों शांत रहें।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय अमृत उत्पन्न हुआ था, जिसके लिए देवताओंं व असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया था। तब भगवान विष्णु का रुप धारण करके देवताओं को अमृत पिलाना शुरु किया। जब भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिला रहे थे तब एक असुर ने भी छल से देवताओं की लाइन में लगकर थोड़ा-सा अमृत पी लिया था।
जब भगवान विष्णु ने ज्ञात हुआ तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से उनका सिर काट दिया, जिन्हें राहु-केतु कहा जाता है। कथाओं के अनुसार, जब राहु-केतु अलग उनके मुख में अमृत की कुछ बूंदे थी, जोकि पृथ्वी पर गिरी और उससे लहसुन-प्याज की उत्पत्ति हुई। चूंकि प्याज और लहसुन की उत्पत्ति राक्षस राहु से हुई है इसलिए इन्हें तामसिक भोजन माना जाता है।
प्याज - लहसुन का तीखापन और गंध शरीर में पित्त और गर्मी को बढ़ाते हैं, जिससे मन अशांत और चंचल होता है। इसी कारण व्रत, पूजा-पाठ और अनुष्ठानों के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है। मंदिरों में चढ़ने वाले भोग और प्रसाद में भी इनका उपयोग नहीं किया जाता है।

