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Dadi-Nani Ki Baatein : नौतपा के दिनों में बैंगन मत खाना... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

नौतपा में बैंगन खाने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी
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चंडीगढ़, 27 मई (ट्रिन्यू)

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Dadi-Nani Ki Baatein : भारत में परंपराएं, मौसम और खान-पान का गहरा संबंध है। खासतौर पर बुजुर्ग महिलाएं, दादी-नानी खानपान से जुड़े नियमों पर विशेष ध्यान देती हैं। उन्हीं में से एक है नौतपा में बैंगन खाने की मनाही...। आइए समझते हैं कि आखिर दादी-नानी नौतपा में बैंगन खाने से क्यों मना करती हैं।

नौतपा क्या है?

नौतपा, ज्येष्ठ मास में आने वाला नौ दिनों का विशेष समय होता है, जब सूर्य अपनी प्रचंड स्थिति में होता है। यह आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में पड़ता है। इन 9 दिनों में तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है और वातावरण में गर्मी चरम पर होती है। मान्यता है कि इन दिनों पृथ्वी पर सूर्य की किरणें सीधी और तीव्र होती हैं, जिससे शरीर और पाचन तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

नौतपा में बैंगन से परहेज क्यों?

बैंगन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से "तासीर में गर्म" माना जाता है। गर्मियों में पहले से ही शरीर में गर्मी अधिक होती है और ऐसे में बैंगन जैसी गर्म तासीर वाली सब्जी खाने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पेट में गर्मी, एसिडिटी, या स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

पाचन क्षमता होती है कमजोर

नौतपा के दौरान शरीर की पाचन शक्ति थोड़ी कमजोर हो जाती है और बैंगन को पचाना थोड़ा कठिन होता है। खासकर बुजुर्ग और बच्चों के लिए यह भारी पड़ सकता है इसलिए हल्का और सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है।

परंपरागत मान्यताएं और धार्मिक कारण

दादी-नानी यह भी मानती हैं कि नौतपा एक तरह का शुद्धिकरण काल होता है। इस समय में शरीर और आत्मा को शुद्ध रखने के लिए सात्विक भोजन जैसे फल, सब्ज़ियां, दही आदि खाने की परंपरा है। बैंगन को कई बार अशुद्ध या "तामसिक" भोजन माना गया है, जिससे मानसिक शांति पर प्रभाव पड़ सकता है।

गर्मी में इसलिए भी हानिकारक है बैंगन

गर्मियों में बैंगन में कीड़े लगने की संभावना ज्यादा रहती है। ज्यादा तापमान में यह सब्जी जल्दी खराब हो सकती है, जिससे भोजन विषाक्त भी हो सकता है। दादी-नानी इन बातों को अपने अनुभव से जानती हैं और इसके आधार पर परहेज करवाती हैं।

हालांकि वैज्ञानिक रूप से बैंगन में बहुत से पोषक तत्व होते हैं लेकिन गर्मी के इस तीव्र समय में हल्का, ठंडा और पचने में आसान भोजन ही बेहतर माना जाता है। यह सिर्फ एक खान-पान की सलाह नहीं बल्कि शरीर को संतुलन में रखने का एक तरीका भी है, जो सदियों से आजमाया गया है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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