Dadi-Nani Ki Baatein : श्राद्ध में नए कपड़े मत खरीदो... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
Dadi-Nani Ki Baatein : श्राद्ध पक्ष के दिन अब ख्त्म होने वाले हैं। इस दौरान लोग पितरों को खुश करने के लिए दान-पुण्य, गरीब व संतों आदि को भोजन करवाते हैं। वैसे तो यह समय पितरों के लिए सबसे अच्छ माना जाता है लेकिन इस दौरान कुछ काम आदि करने की भी मनाही होती है जैसे विवाह , गृह प्रवेश और कपड़ो की खरीददारी आदि।
आपने भी अपनी दादी-नानी को कहते हुए सुना होगा कि श्राद्ध में कपड़े मत खरीदो। चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे क्या कारण है...
पितरों को तर्पण
श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में 16 दिन का वह समय होता है जिसमें पितरों (पूर्वजों) को याद करके उनके लिए तर्पण, पिंडदान और भोजन आदि किया जाता है। यह एक प्रकार का श्रद्धांजलि कार्यक्रम होता है। इस समय को विरक्ति और स्मरण का काल माना जाता है इसलिए इस दौरान कपड़े खरीदने की मनाही होती है।
दादी-नानी की मान्यता
दादी-नानी इसलिए कहती हैं कि श्राद्ध के दौरान नया कपड़ा खरीदना या पहनना उचित नहीं है क्योंकि यह एक प्रकार का "शुभ कार्य" माना जाता है। जबकि श्राद्ध एक अशुभ काल माना जाता है। इसमें कोई नया कार्य आरंभ नहीं किया जाता – जैसे शादी की बात पक्की करना, गृह प्रवेश नहीं करते, नया काम शरु करना, नये वस्त्र या आभूषण खरीदना आदि
पूर्वजों के प्रति सम्मान
नया कपड़ा खरीदना एक तरह से अनादर माना जाता है। दादी-नानी का यह कहना दरअसल पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, सादगी और सम्मान की भावना को बनाए रखने की सीख है।
क्या कहता है वास्तु शास्त्र
श्राद्ध या पितृ पक्ष में नए कपड़े नहीं खरीदने चाहिए। यह समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है, और इस अवधि में नए वस्त्रों की खरीद से घर में नकारात्मक शक्तियां आ सकती हैं। वही, वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितृ दोष बढ़ सकता है या पितृ गण क्रोधित हो सकते हैं।