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Dadi-Nani Ki Baatein : तुलसी को बेवजह मत छेड़ो, मां लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?

Dadi-Nani Ki Baatein : तुलसी को बेवजह मत छेड़ो, मां लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
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चंडीगढ़, 3 जून (ट्रिन्यू)

Dadi-Nani Ki Baatein : भारतीय परंपराओं और लोक मान्यताओं में तुलसी का पौधा एक विशेष स्थान रखता है। यह सिर्फ एक औषधीय पौधा नहीं है बल्कि इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना गया है। यही वजह है कि घर में अगर तुलसी रखी है तो बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। उन्हीं में से एक है तुलसी में रविवार को पानी ना डालना, तुलसी को बेवजह ना छेड़ना आदि...

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घर की बड़ी-बूढ़ी महिलाएं, दादी-नानी अक्सर यह सलाह देती हैं कि तुलसी को बिना कारण छेड़ना नहीं चाहिए, वरना घर में अशांति आ सकती है।

भगवान विष्णु का होता है वास

तुलसी को हिन्दू धर्म में देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि जहां तुलसी का पौधा होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिक सकती। यह भी माना जाता है कि तुलसी के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसे में तुलसी को अनादरपूर्वक छूना या बिना कारण तोड़ना, धार्मिक दृष्टिकोण से पाप समझा जाता है।

वास्तु शास्त्र में तुलसी का स्थान

वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा उत्तर, उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में लगाना अत्यंत शुभ होता है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है। अगर इस स्थान को गंदा रखा जाए या तुलसी को गलत तरीके से छेड़ा जाए (जैसे बार-बार पत्ते तोड़ना, जड़ में पानी जमा होने देना, या पौधे को सूखने देना) तो यह उस दिशा की ऊर्जा को प्रभावित करता है, जिससे घर में मानसिक तनाव, आर्थिक हानि या पारिवारिक कलह जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

- तुलसी के पौधे को हर दिन जल देना, दीपक जलाना और साफ-सफाई रखना घर के लिए सौभाग्य बढ़ाता है।

- मुरझाई हुई तुलसी अशुभ मानी जाती है, इसलिए ध्यान रखें कि पौधा हरा-भरा और जीवित रहे।

- तुलसी के आस-पास साफ वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना आवश्यक है।

- तुलसी को सुबह-सुबह जल चढ़ाना और उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।

- सूरज डूबने के बाद तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है, क्योंकि यह समय रात्रि देवी (तामसिक शक्तियों) का होता है।

- तुलसी के पत्तों को बिना स्नान किए या अशुद्ध अवस्था में छूना भी वर्जित होता है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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