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चाणक्य की मातृभक्ति

एकदा
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प्रकांड विद्वान व कूटनीतिज्ञ चाणक्य अपनी माता से अत्यंत प्रेम करते थे। बचपन में एक दिन, उनकी अनुपस्थिति में एक ज्योतिषी उनके घर आया। चाणक्य की माता ने उसकी कुंडली ज्योतिषी को दिखाई। ज्योतिषी बोले, ‘मां, तेरा पुत्र अत्यंत भाग्यशाली है। एक दिन यह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा। यदि विश्वास न हो तो उसके आगे के दांत को देखो—उस पर नाग का चिह्न होगा।’ जब चाणक्य लौटे, तो मां ने दांत पर वह निशान देखकर ज्योतिषी की बात की पुष्टि की। यह सुनकर वे चिंतित हो गईं कि सम्राट बनने पर कहीं चाणक्य उन्हें भूल न जाए। मां की चिंता देखकर चाणक्य ने कारण पूछा। पूरी बात जानने के बाद उन्होंने तुरंत वह दांत एक पत्थर से तोड़ डाला और मां के सामने रखते हुए बोले, ‘मां, तुम्हारे चरणों में एक नहीं, अनेक सम्राट-पद निछावर हैं।’

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