अंग्रेजों ने भारत में राज्य विस्तार के साथ ही ईसाई धर्म के प्रचार को प्रोत्साहन देना प्रारम्भ किया। इधर वैदिक धर्म को पुनः जीवित करने के लिए भी अनेक संस्थाओं ने प्रचार अभियान चलाया। इसी दौरान आर्य समाजी नेता कुंवर सुखलाल आर्य पेशावर पहुंचे। उन्होंने अंग्रेजों की कूटनीति एवं परतंत्रता से मुक्ति का आह्वान किया और धर्म परिवर्तन के विरुद्ध आवाज उठायी। फलत: अंग्रेजी सरकार ने उन्हें बन्दी बना लिया और पेशावर की अदालत में पेश किया। जज ने सुखलाल आर्य से पूछा, ‘तुम कहां के रहने वाले हो? उन्होंने कड़ककर कहा, ‘मैं उत्तर प्रदेश का निवासी हूं।’ ‘तुम यहां पेशावर में क्या करने आये हो?’ ‘मैं यहां वैदिक धर्म का प्रचार करने के लिए आया हूं?’ जज ने व्यंग्य कसते हुए पूछा, ‘धर्म प्रचार करने के लिए तुम इतनी दूर क्यों आये?’ सुखलाल ने तपाक से उत्तर दिया, ‘व्यापार करने के लिए सात समन्दर पार करके तुम यहां क्यों आये? क्या इंग्लैंड में व्यापार नहीं कर सकते थे?’ जज असल में सुखलाल के निर्भीक स्वभाव से प्रभावित हो गया। उन्हें केवल तत्काल पेशावर छोड़ने का आदेश मिला।
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी