पूर्वी बंगाल की ट्रेन में एक फेरीवाला उबले हुए चने बेच रहा था। स्वामी विवेकानंद ने अपने सेवक से कहा कि उबले चने खाना अच्छा रहता है। सेवक ने एक पैसे के चने लिये, लेकिन स्वामीजी का मनोभाव समझकर फेरीवाले को एक चवन्नी दी। स्वामीजी ने पूछा, ‘क्या भाई, कितना दिया?’ सेवक ने कहा, ‘मात्र चार आने दिए हैं।’ यह सुनकर स्वामीजी बोले, ‘ओ भाई, उससे उसका क्या होगा, दो-एक रुपया दे दो। घर में उसकी पत्नी है, उसके बच्चे हैं।’ चने तो खरीद लिये गए, लेकिन स्वामीजी ने एक दाना भी नहीं खाया।
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार