सरदार वल्लभभाई पटेल एक बार वृद्धावस्था में गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। तब स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी उनका हालचाल जानने आए। उन्होंने देखा कि पटेल जी की बेटी मणिबेन पिता की सेवा में तन-मन से लगी हुई थीं। मणिबेन की धोती में कई जगह पैबंद लगे देख त्यागी जी ने आश्चर्य से कहा, ‘मणि! तुम उस महापुरुष की बेटी हो, जिसने बंटे हुए भारत को एक सूत्र में पिरो दिया। ऐसे महान व्यक्ति की बेटी होकर भी तुम पैबंद लगी धोती पहन रही हो! क्या तुम्हें ऐसा करने में कोई असहजता नहीं होती?’ मणिबेन ने शांत स्वर में उत्तर दिया, ‘शर्म उन्हें आनी चाहिए जो झूठ और बेईमानी से जीवन जीते हैं। मैं एक ईमानदार और सादा जीवन जीने वाले पिता की बेटी हूं। हमारे पास सीमित साधन हैं और मैं चाहती हूं कि मेरा जीवन भी सादगी और नैतिकता की मिसाल बने। बेईमानी और लालच से दूर रहकर जीना ही सच्चा सम्मान है।’
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