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अकेले ही काफी

एकदा
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एक बार परेशान अभिभावक अपने मंदबुद्धि बालक को लेकर बुद्ध के पास आये। उसने बुद्ध से कहा, ‘हम हार मानने लगे हैं। क्या कोई जन्म से ही बुद्धिमान होता है?’ बुद्ध ने उत्तर दिया, ‘हार मत मानो। कोई भी जन्म से बुद्धिमान नहीं होता। ज्ञान अपने प्रयासों और सही माहौल से प्राप्त होता है।’ अभिभावक ने पूछा, ‘लेकिन हम दोनों अकेले हैं, इस बच्चे को कैसे विचारवान और विवेकवान बनाएंगे?’ बुद्ध ने कहा, ‘कभी मत सोचो कि तुम अकेले हो, बल्कि सोचो कि तुम अकेले ही काफी हो।’ अभिभावक ने फिर कहा, ‘हमारे आस-पास के लोग मन ही मन हम पर हंसते हैं।’ बुद्ध ने हंसते हुए कहा, ‘जगहंसाई से मत घबराओ, अपने कर्तव्य और लक्ष्य को कभी मत छोड़ो। क्योंकि जब तुम अपने लक्ष्य प्राप्त कर लोगे तो हंसने वालों की राय भी बदल जाएगी।’ यह सुनकर वह अभिभावक आत्मविश्वासी बनकर लौटे।

प्रस्तुति : पूनम पांडे

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