ओणम केरल का दस दिवसीय प्रमुख पर्व है, जो राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है। यह आज एक बहुसांस्कृतिक उत्सव बनकर वैश्विक पहचान प्राप्त कर चुका है।
केरल का सबसे बड़ा और प्रमुख राज्य पर्व ओणम है, जो पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत ‘अथम’ (मलयालम पंचांग) से होती है और समापन ‘थिरुवोणम’ पर होता है।
बड़ी संख्या में मलयाली लोग या केरलवासी खाड़ी देशों जैसे यूएई, कतर, सऊदी अरब और कुवैत में बसे हैं। इसके अलावा अमेरिका, यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों जैसे सिंगापुर और मलेशिया में भी इनकी अच्छी-खासी आबादी है।
इसलिए हाल के वर्षों में ओणम केवल स्थानीय केरलवासियों का पर्व न रहकर एक बहुसांस्कृतिक पर्व के रूप में अपनी प्रतिष्ठा देश-विदेश में ग़ैर-केरलवासियों के बीच भी बना चुका है।
जैसे इन दिनों दिवाली और क्रिसमस बहुसांस्कृतिक त्योहारों के रूप में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुके हैं, वैसे ही ओणम भी आज देश-विदेश में बड़े उत्साह से ग़ैर-केरलवासियों द्वारा भी मनाया जाता है।
यही कारण है कि हाल के वर्षों में मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली जैसे महानगरों में बड़े पैमाने पर ओणम महोत्सव आयोजित किए जाने लगे हैं।
इन महोत्सवों में निःसंदेह बड़ी संख्या में केरलवासी भी होते हैं। लेकिन दूसरे प्रांत के लोगों की भी अच्छी-खासी और कई जगहों पर केरलवासियों से भी ज्यादा संख्या होती है। केले के पत्ते पर परोसे जाने वाले दर्जनों व्यंजनों वाला ओणम साध्य आज देश-विदेश के रेस्टोरेंट्स और होटलों में आकर्षण का विषय बन चुका है। दुबई, सिंगापुर, लंदन और न्यूयार्क जैसे शहरों में भी हर साल बड़ी संख्या में ओणम फूड फेस्टिवल आयोजित होते हैं। इन सब वजहों से आज ओणम सिर्फ मलयाली लोगों का त्योहारभर नहीं है बल्कि भारत के विशिष्ट सांस्कृतिक पर्वों में से एक बन चुका है।
बहरहाल 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाने वाला यह पर्व राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है। मान्यता है कि त्रेतायुग में असुर राजा महाबली ने केरल पर न्यायपूर्ण और समृद्ध शासन किया था। उसकी ख्याति और बढ़ती प्रतिष्ठा से देवता ईर्ष्या करने लगे थे और उन्होंने भगवान विष्णु से महाबली को सबक सिखाने के लिए कहा। इस पर भगवान विष्णु वामन अवतार में महाबली के पास आये और छल से उन्हें पाताल लोक भेज दिया। लेकिन भगवान विष्णु ने महाबली को वरदान दिया कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा से हर साल मिलने आएंगे। वास्तव में ओणम का पर्व इसी खुशी में मनाया जाता है। हालांकि इस सांस्कृतिक-पौराणिक कथा के पीछे एक कथा यह भी है कि यह धान की नई फसल की कटाई का पर्व है और इसे समृद्धि व खुशहाली के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। बहरहाल वजहें कुछ भी हों यह रंग-बिरंगा सांस्कृतिक पर्व वास्तव में केरलवासियों की उत्सवधर्मिता का प्रतीक है।
ओणम में बहुसांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है। इस महापर्व के कई आकर्षक हिस्से हैं। उनमें से एक है- पूक्कलम, जिसके तहत केरल के लोग अपने घरों के आंगन में रंग-बिरंगे फूलों की रंगोली सजाते हैं। दूसरा बेहद आकर्षक हिस्सा है ओणम साध्य। इस हिस्से में लोग केले के पत्ते पर 25 से 30 तरह के पारंपरिक व्यंजन परोसते हैं और सामूहिक रूप से उसका आनंद लेते हैं। वैसे ओणम साध्य की यह परंपरा अब केरल की एक विशिष्ट भोजन पहचान बन गई है और देश विदेश के दर्जनों ऐसे होटल हैं, जो ऑथेंटिक केरलाइट फूड परोसने के नाम पर ओणम साध्य की प्रक्रिया अपनाते हैं और 25 से 30 तरह के विविध व्यंजनों की हरीभरी केले के पत्ते वाली थाली का आकर्षण लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है।
ओणम पर्व का एक और आकर्षक हिस्सा वल्लमकली यानी नौका दौड़ है। लेकिन इस नौका दौड़ में शामिल होने वाली नावें सामान्य नावें नहीं होतीं बल्कि स्नेक बोट यानी सांप के आकर वाली नावें होती हैं। इस स्नेक बोट रेस को देखने और इसका आनंद लेने के लिए ओणम के मौके पर देश विदेश के लाखों पर्यटक विशेष रूप से केरल की यात्रा करते हैं।
ओणम पर्व का एक और मनमोहने वाला कथकली और मोहिनीअट्टम जैसे नृत्यों से सजा होता है। इस मौके पर जगह जगह लोग इन दोनो नृत्यों में अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करते हैं। इसे देखने के लिए भी इस पर्व के मौके पर देश विदेश के लोग केरल पहुंचते हैं। 10 दिनों का बेहद रंगा-रंग त्योहार ओणम इसका अंतिम दिन फिर ओणम के नाम से जाना जाता है। अपनी पारंपरिक खेल परंपरा और विशेष रूप से कुश्ती के लिए भी मशहूर है। इसे ओणकलिकल कहा जाता है। यह भी ओणम पर्व का बेहद आकर्षक हिस्सा है और देश विदेश के लोगों को अपनी तरफ खींचता है। ओणम वास्तव में केवल एक पर्व नहीं बल्कि केरल की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक एकता और मिल-जुलकर उत्सव मनाने की परंपरा का प्रतीक है। इस पर्व ने आजकल बहुत बड़े पैमाने पर देश विदेश के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा हैं और अब यह केरलवासियों की स्थायी सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। इ.रि.सें.