एक बार गौतम बुद्ध से एक जमींदार मिलने आया, जो दंभ की भावना से ग्रस्त था और साधारण व गरीब लोगों को तुच्छ समझता था। बुद्ध उसकी मानसिकता समझ गए। उन्होंने अपने कक्ष में अंधेरा करवाया और उस जमींदार से उसकी कीमती रत्नजड़ित अंगूठी लेकर फर्श पर गिरा दी। अंगूठी गिरने की आवाज सुनते ही जमींदार ने तुरंत पत्थर मंगवाया और उससे आग जलाकर रोशनी की। पल भर में उसने अंगूठी खोज ली। बुद्ध मुस्कुराए और बोले, ‘देखो, दो कौड़ी के पत्थर की वजह से तुम्हें अपनी कीमती अंगूठी मिल गई। अब सोचो, जिन्हें तुम तुच्छ समझते हो, वही समाज में असली प्रकाश ला सकते हैं।’ यह सुनकर जमींदार का हृदय परिवर्तन हो गया। उसने अपनी सोच बदल ली और सबको सम्मान से देखने लगा।
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