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आध्यात्मिक जागृति और आशा का पर्व

ईस्टर 20 अप्रैल
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ईस्टर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है; यह प्रकाश, प्रेम और पुनरुत्थान का उत्सव है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हर दिन एक नया अवसर लेकर आता है, अपनी त्रुटियों को सुधार कर, आगे बढ़ने का। अंधकार चाहे जितना भी गहरा हो, प्रकाश की विजय निश्चित है। क्रूसिफाइड करने के बाद भी जीसस का जीवित हो इतना उसी नवजीवन का प्रतीक है।

राजेंद्र कुमार शर्मा

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प्रत्येक वर्ष वसंत ऋतु में जब प्रकृति नवजीवन के रंगों से भर जाती है, तब ईसाई समुदाय एक अत्यंत पवित्र और हर्षोल्लास से भरा पर्व मनाता है— ईस्टर। यह पर्व गुड फ्राइडे के बाद आने वाले पहले रविवार को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसमें गहरे आध्यात्मिक और जीवनदायिनी संदेश भी छिपे हैं।

ईस्टर मनाने का रहस्य

ईस्टर ईसा मसीह के पुनरुत्थान (मृत्यु के तीन दिन बाद जीवन में लौट आने) की स्मृति में मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण पर्व है। ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाने के तीसरे दिन वे पुनर्जीवित हुए और इस घटना ने उनके अनुयायियों को आशा, विश्वास और उद्धार का संदेश दिया।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

बाइबिल में उल्लेख मिलता है, ‘वह यहां नहीं है; वह जी उठा है, जैसा उसने कहा था।’ ईस्टर केवल एक ऐतिहासिक घटना का स्मरण नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह पर्व दिखाता है कि भगवान यीशु ने पाप, मृत्यु और अधर्म पर विजय पाई। इस पर्व के माध्यम से ईसा मसीह ने अपना एक पवित्र संदेश दिया कि जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयां हों, ईस्टर सिखाता है कि हर अंत एक नए आरंभ की ओर ले जाता है। पुराने नियम की भविष्यवाणियों के अनुसार मसीहा का दुःख सहना, मरना और पुनर्जीवित होना निश्चित था और ईस्टर उसी का प्रमाण है।

प्रतीकों का संदेश

क्रूस जहां धर्म के ईसा मसीह के बलिदान का प्रतीक है वहीं खाली कब्र पुनरुत्थान और अनंत जीवन की आशा का प्रतीक। ईस्टर एग, नवजीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक। अंडे से जीवन की उत्पति संभव होती है। ईस्टर बनी को पश्चिमी परंपरा में नवजीवन का प्रतीक माना गया है।

प्रकृति में पुनरुत्थान

ईस्टर अक्सर वसंत ऋतु में आता है, जब बर्फ पिघलती है, पेड़-पौधे फिर से हरे होते हैं, और नई कोंपलें फूटती हैं। यह सब जीवन के चक्र और नवजीवन का प्रतीक है जैसे ईशा मसीह की पुनरुत्थान। यह संदेश है कि हर दुख के बाद सुख आता है। हर जन्म के बाद मृत्यु और फिर नव जीवन मिलता है। यह चक्र सभी जीवों में चलायमान रहता है।

नवजीवन संदेश

ईस्टर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है; यह प्रकाश, प्रेम और पुनरुत्थान का उत्सव है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हर दिन एक नया अवसर लेकर आता है, अपनी त्रुटियों को सुधार कर, आगे बढ़ने का। अंधकार चाहे जितना भी गहरा हो, प्रकाश की विजय निश्चित है। क्रूसिफाइड करने के बाद भी जीसस का जीवित हो इतना उसी नवजीवन का प्रतीक है।

पर्व का मर्म

ईस्टर हमें याद दिलाता है कि जीवन केवल भौतिक अस्तित्व तक सीमित नहीं है। इसमें एक गूढ़ आत्मिक, आध्यात्मिक सत्य छिपा है कि प्रेम, बलिदान और विश्वास की शक्ति मृत्यु से भी बड़ी होती है। ईस्टर का यह कि संदेश आज प्रासंगिक हो जाता है, ‘हर अंत एक नई शुरुआत है।’ जो इस मर्म को समझते हैं वे दुख में भी आध्यात्मिक सुख का अनुभव करते हैं।

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