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आस्था, ऊर्जा और पर्यावरण की शक्ति का संगम

महामृत्युंजय यंत्र
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हिसार के मैयड़ गांव में विश्व का सबसे बड़ा स्थाई महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया गया है, जिसे स्वामी सहजानंद नाथ ने मानवता और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित किया है। यह यंत्र आस्था, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक बनकर श्रद्धालुओं के जीवन में परिवर्तन लाने का विश्वास जगाता है।

कुमार मुकेश

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अंतर्राष्ट्रीय सिद्ध महामृत्युंजय व ज्योतिष एवं योग अनुसंधान केंद्र के संस्थापक स्वामी सहजानंद नाथ के सहयोग से हिसार के मैयड़ गांव स्थित आश्रम में विश्व का सबसे बड़ा 52 फुट बाई 52 फुट का स्थायी महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया गया है।

इससे पहले, प्रयागराज के कुंभ मेले में इतना ही बड़ा अस्थायी महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया गया था, जिसे मेले के समापन के बाद कुछ कारणों से शीघ्र ही विसर्जित कर दिया गया। खास बात यह है कि प्रयागराज में जिस अस्थायी महामृत्युंजय यंत्र को विसर्जित किया गया, उसी दिन, 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन, हिसार में स्थायी महामृत्युंजय यंत्र श्रद्धालुओं को समर्पित कर दिया गया था।

82 दिन में तैयार हुआ यंत्र

अंतर्राष्ट्रीय सिद्ध महामृत्युंजय व ज्योतिष एवं योग अनुसंधान केंद्र में इस महामृत्युंजय यंत्र का भूमि पूजन 7 दिसंबर, 2024 को किया गया था। इसके बाद 26 फरवरी, 2025 को महाशिवरात्रि के दिन यह यंत्र तैयार हो गया। इसे मूर्त रूप देने में कुल 82 दिन का समय लगा।

असीम ऊर्जा का अहसास

इस महामृत्युंजय यंत्र को स्थापित करने के लिए कई दशकों से सपना संजोए स्वामी सहजानंद नाथ का कहना है कि इस यंत्र के हर कोण से असीम ऊर्जा का अहसास होता है, और इसका निर्माण मानवता के कल्याण हेतु किया गया है। विश्व के सबसे बड़े और पहले सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र का त्रिआयामी मेरु पृष्ठाकार स्वरूप स्थापित किया गया है। इस स्थान की सकारात्मक ऊर्जा देखकर लगता है कि आने वाले समय में यह सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र एक बड़े तीर्थ स्थल का रूप लेगा, और देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पूजा, अनुष्ठान, दर्शन और साधना के लिए पहुंचेंगे।

अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण का संगम

एस्ट्रोलॉजर प्रद्युम्न का कहना है कि यह विश्व का पहला सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण का संगम बनकर मिसाल बनेगा। वर्तमान परिवेश में मनुष्य बाह्य के साथ-साथ मानसिक अशांति से भी पीड़ित है, जो उसके कृत्यों के माध्यम से बाह्य वातावरण को भी प्रभावित करता है। कोई भी तीर्थ स्थल या सिद्ध स्थल सकारात्मकता को उत्पन्न करता है, और यह यंत्र भी उसी दिशा में एक कदम है।

अन्य स्थानों पर भी बनेंगे यंत्र

स्वामी सहजानंद नाथ के अनुसार, इस सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र को देश के अन्य राज्यों और दुनियाभर में स्थापित किया जाएगा, ताकि लोगों के मानसिक उद्वेग को समाप्त किया जा सके और बाहरी वातावरण को शुद्ध रखने में मदद मिल सके।

सरस्वती नदी पर स्थापित यंत्र

महामृत्युंजय साधना और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले संस्थान के संस्थापक स्वामी सहजानंद नाथ का संकल्प था कि हिसार में सरस्वती नदी के स्थान पर विश्व का सबसे बड़ा महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया जाए। यह वह स्थान है, जहां पिछले 26 वर्षों से लगातार प्रतिदिन अनवरत रुद्राभिषेक होते आए हैं। यहां लाखों महामृत्युंजय अनुष्ठान हुए हैं, और करोड़ों महामृत्युंजय मंत्रों का जाप हो चुका है। रुद्र और महारुद्र यज्ञ भी आयोजित किए गए हैं, इसलिए इस महादिव्य यंत्र की स्थापना से आसपास का क्षेत्र सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होगा।

हमारे सभी वेद-शास्त्रों में महामृत्युंजय यंत्र को अकाल मृत्यु, दुर्घटना, नकारात्मकता, भय और दुर्भाग्य को समाप्त करने वाला बताया गया है। माना जाता है कि इसकी असीम सकारात्मक ऊर्जा के चलते, इस यंत्र के दर्शन और परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की विपत्तियां दूर होती हैं।

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