विषय : बिहार जनादेश के निहितार्थ
महिलाएं भी हुईं जागरूक
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल और भाजपा की गठबंधन सरकार को जो स्पष्ट जनादेश मिला है वह ऐतिहासिक है। यह एक दुर्लभ अवसर है कि एक सरकार को तीन चौथाई बहुमत के साथ दोबारा सरकार चलाने का अवसर मिला है। वह भी उस राज्य में जिसे कुछ सालों पहले अराजकता, विकासहीनता और जातिवाद के दलदल में धंसे होने के लिए जाना जाता था। नीतीश कुमार ने राज्य को अपराधियों की गिरफ्त से निकाला और जनता में विकास का सपना जगाया। पांरपरिक जातिगत समीकरणों की सीमा में इतना बड़ा जनादेश संभव नहीं था। इस नेता ने सिर्फ विकास की इबारत से न सिर्फ जाति की जकड़बंदी को तोड़ दिया बल्कि अति पिछड़ी जातियों और समाज की आधी आबादी, महिलाओं में नई राजनीतिक जागरूकता का निर्माण किया। यह उस राज्य में निश्चय ही बड़ी बात है जहां सामाजिक परंपरायें महिलाओं के लिए सार्वजनिक भूमिका की ज्यादा गुंजाइश नहीं देती। चुनावी नतीजे बताते हैं कि जनता थोथी बातों और खोखले नारों की राजनीति से ऊब चुकी है। वह सच्चे अर्थों में विकास चाहती है और विकास की इबारतें लिख सकने वाले विश्वसनीय नेता । यह देशभर के राजनीतिज्ञों के लिए एक सबक और संदेश होना चाहिए।
-पूनम कश्यप, नरवाना
विकास करने वाला करेगा राज
बिहार में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव का जो जनादेश नीतिश कुमार को मिला, उसे लेकर पूरा देश आश्चर्य में है। परंतु पूरा देश यह अच्छी तरह से नहीं जानता कि 1980 के दशक की कांग्रेस सरकारें व बाद में राजद का पंद्रह वर्ष का शासन बिहार के लिए अभिशाप था, जिसमें राज्य में भ्रष्टाचार, जातिवाद, फिरौती, अपहरण, महिलाओं का शोषण और विकास के नाम पर सिर्फ बातें। शिक्षा का स्तर गिरा, जिसके कारण बिहार का नागरिक भारत के अन्य राज्यों में जाने को विवश हुआ। वहां पर उसे रोजगार मिला परंतु उसे अपमानित होना पड़ा। इस अपमान का कारण उसके राज्य के नेता लोग थे। वर्ष 2005 में जब नीतिश ने उन्हें आशा की किरण दिखाई और चुनाव के बाद अपने वादे पूरे किये तो बिहार में विकास हुआ। इस कारण बिहार की जनता ने उन्हें दोबारा से सत्ता में ला दिया। अगर नीतिश का अनुसरण सभी पाॢटयों के लोग करें तो भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद, वंशवाद, साम्प्रदायिकता, भाषाई मुद्दे और बेरोजगारी सब पीछे छूट जाएंगे और देश तरक्की की राह पर चल पड़ेगा।
-रवि जयतम महेंद्रा, रोहतक
सुशासन को वोट
लालू यादव ने बिहार पर लगभग पंद्रह वर्षों तक शासन किया। इस दौरान वे लगातार बिहार की भोली-भाली जनता को अपने भ्रम जाल में फंसाते रहे लेकिन हमेशा के लिये किसी को भी भ्रम में नहीं फंसाया जा सकता। आजकल के राजनीतिज्ञों का मकसद तो सिर्फ मौका मिलते ही कई हजार करोड़ों का घोटाला करना ही होता है। ऊपरी राजनीति में लालू के मसखरेपन की इमेज ने आम भारतीयों को भी भ्रमित किया। बात चाहे बिहार की हो या किसी भी राज्य की। रैली करना, महारैली करना या साम्प्रदायिकता के आधार पर लोगों की भावना के साथ खिलवाड़ करके वोट बैंक बनाना अब बीते दिनों की बात हो गई है। लोग इन लुटेरों, घोटालेबाजों को अच्छी तरह से पहचान गये हैं। ङ्क्षहदुस्तान में जितने भी लुटेरे राजनेता हैं, वे सब अब धीरे-धीरे ठिकाने लगने लगे हैं। अब लोग किसी भी स्टाइल के भ्रमजाल में नहीं फंसने वाले। फिर वह चाहे लालू के मसखरेपन का स्टाइल हो या फिर राहुल गांधी का दलित के घर जाकर रोटी खाना और फिर वहीं सो जाना। वोट तो सिर्फ उसे मिलेगा, जो विकास करेगा और लोगों को सुशासन देगा।
-सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा
काम करो और राज करो
विकास के नाम पर बिहार के अभूतपूर्व जनादेश ने पूरे देश के नेताओं को यह संदेश दे दिया है कि बातें नहीं, काम करो और राज करो। देश की जनता जाग चुकी है, अब तुम भी जाग जाओ। बीस साल पहले बिहार में अस्मिता की राजनीति के बहाने परिवारवाद, जातिवाद व राजनीति के अपराधीकरण की जो खतरनाक फसल तैयार की गई थी बिहार की जनता ने उससे परेशान होकर आमचुनावों में उस फसल को तहस-नहस कर दिया। देश-दुनिया में मजाक का पर्याय बन चुके बिहार को नीतिश ने सुशासन और विकास दिया और उसे उसकी अस्मिता की याद दिलाई। अफसरों के अभाव में पलायन कर रहे बिहार की पीड़ा को नीतिश ने समझा और उसे अपनी ताकत बनाया। सड़कों से गुंडों का सफाया किया, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त माफियाओं और उनके आकाओं को उनकी सही जगह पहुंचाया। बिहार के महादलितों और पसमांदा मुसलमानों को पहचान दिलाई। पंचायतों में महिलाओं के लिये पचास फीसदी आरक्षण आदि से बिहार की जनता का विश्वास नीतिश में जगा और उन्होंने नीतिश के पक्ष में भारी मतदान कर यह दिखा दिया कि बिहार अब जाग चुका है, इसलिये देश और बिहार के नेताओ अब तुम भी जाग जाओ।
-चंद्रकला खातोद, महेंद्रगढ़
परिपक्व मतदाता
आजादी के बाद से भारतीय राजनेताओं ने जातिवाद, धर्म और अशिक्षा के कारण भोली-भाली जनता के साथ खिलवाड़ किया और डेढ़ अरब आबादी का सेहरा महज चंद लोगों ने बांध लिया और अधिक से अधिक जनता का शोषण किया। लोकतंत्र में सबसे अधिक ताकतवर वोटर होता है, इस बात का जलवा हालिया चुनाव में बिहार की जनता ने दिखा दिया कि यह वही चाणक्य और पाटलिपुत्र जैसे विद्वानों का प्रदेश है जहां सभ्य और शिक्षित लोग रहते हैं, जो समय बदलने पर जातिवाद, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर सत्ता के भूखे राजनीतिज्ञों के बहकावे में आने वाले नहीं हैं। आज समय बदला, भारतीय वोटर परिपक्व हुआ है और वह स्वयं एक शिक्षक की भांति उस विद्यार्थी को निहारता है और चुनाव करता है, जो देश का, राज्य का भार अपने प्रबल कंधों पर उठाकर नवनिर्माण और विकास को तरजीह दे।
-मुकेश कुमार, नयी दिल्ली
बेवकूफ नहीं बना सकते
बिहार के विधानसभा चुनावों के एकतरफा शानदार परिणामों ने और बातों के अलावा एक और बात स्पष्ट कर दी कि यह पब्लिक है, सब जानती है। बिहार के मतदाताओं ने साबित कर दिया कि जनता को बार-बार बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। पंद्रह वर्षों तक बिहार की जनता को गुमराह कर उसका शोषण करने वाले लालू प्रसाद यादव को शायद यह बात समझ आ गई होगी कि जनता को विकास और सुरक्षा चाहिये, झूठे वादे नहीं। कांग्रेस के लाख प्रयासों के बावजूद गुजरात की जनता ने नरेंद्र मोदी को सत्ता से हिलने नहीं दिया। कारण साफ है मोदी ने जनता को विकास के साथ-साथ सुरक्षा भी दी। जब नीतिश भी मोदी की तरह प्रदेश के विकास के रास्ते पर चले तो जनता ने उनका साथ देकर साबित कर दिया कि मतदाता किसी नेता के नहीं होते, बल्कि वे हर उस इंसान के साथ हैं, जो उनके दुख-दर्द को अपना समझे और मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्वित करे। मेरा मानना है बिहार और गुजरात को मॉडल मानते हुये अन्य राज्यों व केंद्र की सरकार को भी भ्रष्टाचार व घपलों तथा जातिवाद और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर विकास के बारे में सोचना चाहिये। इससे न केवल देश का भला होगा बल्कि नेताओं के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।
-शामलाल कौशल, रोहतक
सचेत जनता
भारत में लोकतांत्रिक ढांचा बदल रहा है। लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। लोग भाषणों की नौटंकी को जान चुके हैं। आज बिहार का नागरिक चाहता है, बिहार का विकास हो, लोग आजादी से सांस ले सके, अपराध जैसी वारदातें कम हों, लड़कियां पढऩे-लिखने के लिए आजादी से आ-जा सकें। अच्छे सुशासन में इसकी अहम भूमिका रहती है। बिहार में जनता ने इस विधानसभा चुनाव में अन्य नेताओं को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है जो बिहार के हित में बिहारवासियों के दिलों को समझेगा राज वही करेगा। धार्मिक साम्प्रदायिकता से खेल कर सुर्खियां बटोरने वाले नेता जो राजनीतिक रोटियां सेकते हैं उनको जोर का झटका धीरे से दिया है। दागी नेताओं को नकारकर, ईमानदार, कज्र्र और फर्ज समझने वाले लोगों को अपना नेता चुनकर बिहार की जनता जागरूक हो गई है।
-पवन बतरा, पंचकूला