लक्ष्य पर अर्जुन सी आंख
फीचर डेस्क
विभिन्न तरह के संकायों के अंतर्गत अलग अलग विषयों की पढ़ाई के लिए कक्षाएं शुरु हो चुकी हैं। तो अब सही वक्त है कि विद्यार्थी अपने भविष्य के लक्ष्य तय करें तथा पूरा करने में जी-जान से जुट जायें। रॉबर्ट हाक ने सही ही कहा है, ‘ आलस्य एक ऐसा छुपा ‘तत्व’ है जो बाद में नाकामयाबी के रूप में सामने आता है। पर यह छुपा उसी से रहता है जो फेल होता है।’ सही यह भी है कि कुछ लोग मेहनत भी कड़ी करते हैं परन्तु ऐसा लगता है कि उन्हें कहीं भी कुछ खास फल प्राप्त नहीं हुआ। इस स्थिति की जड़ में आलस है। ऐसे लोग अपने लक्ष्य को साधने में पर्याप्त समय नहीं लगाते।
संस्कृत में कहा गया है :
आलस्य कुत: विद्या, अविद्यस्य कुत: धनम्
अधनस्य कुत: मित्रम्, अमित्रस्य कुत:सुखेम्
यानी आलसी को विद्या कहां, विद्या के बिना धन कहां, धन के बिना मित्र कहां और मित्र के बिना सुख कहां?
दरअसल लक्ष्य निर्धारित करना एक, शक्तिशाली, आदर्श और प्रेरणादायक कारक है। इससे यह पता चलता है कि आपको क्या चाहिये व कहां फोकस करना है। साथ ही उन कमियों का भी पता चल जाता है जो लक्ष्य प्राप्ति में बाधक हो सकती हैं। लक्ष्य निर्धारण के साथ ही ईमानदारीपूर्वक उस दिशा में कड़ा परिश्रम भी वांछित है।
लक्ष्य निर्धारण से साफ तौर पर पता चल जाता है कि अब करना क्या है। एक दृष्टिï बन जाती है भविष्य के बारे में। इससे उपलब्ध वक्त, ऊर्जा और साधनों का पूर्ण उपयोग हो जाता है। विद्यार्थी ध्यान केंद्रित करता है अपने उद्देश्य पर तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। उसकी योग्यता का बेहतर पहलू उभरकर आता है।
कला में महारत : स्मार्ट तरीके से लक्ष्य साधने की जरूरत है। अंग्रेजी के ‘स्मार्ट’ शब्द के हरेक अवसर के गहरे अर्थ हैं। प्रथम अक्षर ‘एस’ से स्पेसिफिक यानी खास क्षेत्र का चुनाव। ‘एम’ का अभिप्राय: ‘मीनिंगफुल’ यानी सार्थक हो चुना गया लक्ष्य। ‘ए’ का अभिप्राय है कि लक्ष्य आपके स्वभाव व प्रवृत्तियों से मेल खाता हो। ‘आर’ इंगित करता है कि लक्षित करिअर अच्छी रिटर्न वाला होना चाहिए। ‘टी’ निर्धारित समय के अंदर लक्ष्य की पूर्ति पर जो जोर देता है।
एक खास लक्ष्य व्यक्ति का सर्वोत्तम योग्यता सामने लाता है। टार्गेट पूरा करने की लगन उसे इधर-उधर व्यर्थ की बातों में भटकने नहीं देती। वह नकल नहीं करता दूसरों की। केवल सार्थक मकसद ही प्रेरणा बन सकता है उपलब्धि के लिए। एक निरर्थक मकसद प्रेरणा नहीं नहीं देता कि व्यक्ति कड़ी मेहनत कर सके। सार्थक मकसद से विद्यार्थी में आत्म-सम्मान की भावना आती है। इसके साथ ही अपनी प्रवृत्ति स्वभाव के मुताबिक लक्ष्य चुनें।