शर्मा ने ‘कैग’ का पदभार संभाला, नियुक्ति के खिलाफ याचिका
नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा)। सुप्रीमकोर्ट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार के लिए आज तैयार हो गया।
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि इस जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता नहीं है, इसलिए इस पर जुलाई में विचार किया जाएगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज ही रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को देश के नए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद की शपथ दिलाई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1976 बैच के बिहार काडर के 61 वर्षीय शर्मा की नियुक्ति विनोद राय के स्थान पर की गई है, जो कल साढ़े पांच साल बाद इस पद से सेवानिवृत्त हो गए।
याचिका में कहा गया है, ‘उन्हें अपने पिछले कार्यकाल के लेखे-जोखे की रिपोर्ट, काम और निष्पादन का ऑडिट करने के लिए ऑडिटर नियुक्त नहीं किया जा सकता। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पास हेलीकॉप्टर सौदा कांड सहित अरबों खरबों के विभिन्न रक्षा सौदों से संबंधित अनेक मामले जांच के लिए लंबित हैं। इसलिए शर्मा को अपने ही कामकाज का किसी भी तरह से ऑडिट करने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकता।’
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में शशिकांत शर्मा को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पद की शपथ दिलाई। शर्मा ने विनोद राय का स्थान लिया है, जो कल सेवानिवृत्त हुए हैं। 61 वर्षीय शर्मा 1976 के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। कैग के रूप में राय का साढ़े पांच साल का कार्यकाल काफी चर्चित रहा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शशिकांत शर्मा 24 सितंबर, 2017 तक इस पद पर बने रहेंगे। इससे पहले वह रक्षा सचिव थे। शर्मा ने सरकारी आडिटर के प्रमुख का पद ऐसे समय संभाला है, जबकि कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की रिपोर्ट को लेकर सरकार और सत्ताधारी दल द्वारा उसकी कड़ी आलोचना की जा रही है।