चर्म रोगों की पेचीदगियों पर विशेषज्ञ करेंगे चर्चा
चंडीगढ़, 1 सितंबर (निस)
पीजीआई में त्वचा संबंधित बीमारियों के उपचार हेतु आने वाले लोग ज्यादातर फंफूदीय संक्रमण से ग्रस्त पाए जाते हैं। पहले इस रोग के इलाज को सुगम समझा जाता था। लेकिन पिछले 5-7 सालों से इस रोग के उपचार में यह समस्या आ रही है कि यह फंगल इंफेक्क्शन बार-बार होने लगता है और एक जटिल व पुराने रोग का रूप ले रहा है। यह कहना है पीजीआई के त्वचा रोग विभाग के प्रो. सुनील डोगरा का। उन्होंने बताया कि देशभर में 20 से 40 प्रतिशत रोगी बार-बार होने वाले रिंग वार्म इंफेक्शन के होते हैं। सत्य तो यह है कि यह समस्या धीरे-धीरे एक महामारी का रूप ले रही है। भारत में विशेष तौर पर गलत इलाज, नम वातावरण में लोगों का जलसे जलूसों में एकत्रित होना, घटिया क्रीमों का इस्तेमाल, नीम-हकीमों से उपचार की प्रवृति, तंग फिट कपड़े पहनना व त्वचा विशेषज्ञों से परामर्श के बजाय विज्ञापनों को देखकर स्वयं दवाएं लेना आदि इसके प्रमुख कारण हैं।
देशभर से 250 माहिर करेंगे शिरकत
प्रो. सुनील डोगरा ने जानकारी दी कि त्वचा रोगों से संबंधित दो-दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन 2 व 3 सितंबर को किया जा रहा है। यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन होगा। इसमें विदेशों से अंतरराष्ट्रीय स्तर के त्वचारोग विशेषज्ञ शिरकत कर रहे हैं। किंग्स कॉलेज हास्पिटल लंदन से डॅा.रोड्रिक.जे.हे तथा लीड्स विश्वविद्यालय यूके से डॉ. एचआर एशबी मुख्य वक्ता होंगे। प्रकल्प सचिव डॉ.तरण नारंग ने बताया कि चर्मरोग संबंधी इस सम्मेलन में देशभर से 250 विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।