किसान संगठनों और विपक्ष के भारी विरोध के बीच केंद्र सरकार ने रविवार को कृषि सुधार से जुड़े दो बिल राज्यसभा में पारित करा लिये। इस बीच उच्च सदन में भारी विरोध का सामना सरकार को करना पड़ा। आखिरकार विपक्ष के तल्ख विरोध के बीच कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत और कृषि सेवा करार विधेयक-2020 राज्यसभा में पारित हो गये। विपक्ष का सवाल था कि एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दी। आखिर जब किसान मंडी नहीं होगी तो एमएसपी कैसे मिलेगा? आशंका यह है कि किसानों को पूंजीपतियों के रहमोकरम पर छोड़ा जा रहा है। यदि बड़ी कंपनियां एमएसपी पर फसलों की खरीद नहीं करती हैं तो उसकी गारंटी कौन देगा? विपक्ष एमएसपी की अनिवार्यता को कानून में शामिल करने की मांग करता रहा। दलील थी कि मौजूदा दौर में भी बाजार के साथ होने वाले व्यापार में एमएसपी से कम पैसा मिलता है। सवाल यह कि ऐसा क्या मापदंड है, जिससे पता चल सके कि व्यापार ने खरीद में एमएसपी का पालन किया है। वहीं सरकार का दावा है कि किसानों को अपने फसल के भंडारण की सुविधा, बिक्री में आजादी और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। किसानों को उपज बेचने के विकल्प मिलेंगे।
आखिर पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में किसानों के विरोध की वजह क्या है। इन बिलों को लेकर किसानों में जो आशंकाएं हैं उन्हें दूर करने की गंभीर कोशिश क्यों नहीं हुई। यहां तक कि एनडीए में शामिल अकाली दल की हरसिमरत कौर ने कृषि बिलों के विरोध में इस्तीफा तक दे दिया है। सरकार का दावा है कि बिल के प्रावधानों से बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी और किसान को उचित मूल्य मिलेगा। किसान संगठनों का आरोप है कि नये कानून लागू होने से कृषि क्षेत्र बड़ी पूंजी वालों के हाथों में चले जाने से किसानों का नुकसान होगा। दरअसल, जिन कृषि उपजों पर एमएसपी नहीं मिलती, किसान उन्हें कम दाम पर बाजार में बेचने को मजबूर होते हैं। पंजाब में किसान आशंकित हैं कि राज्य के गेहूं-धान का बड़ा हिस्सा खरीदने वाला एफसीआई अब खरीद नहीं करेगा। ऐसे में राज्य भी एफसीआई से मिलने वाले छह प्रतिशत कमीशन से वंचित हो सकता है। आशंका है कि मंडियां खत्म होने से हजारों की संख्या में कमीशन एजेेंटों, लाखों मंडी श्रमिकों और लाखों भूमिहीन खेत मजदूरों के सामने जीविका का संकट पैदा हो जायेगा। सवाल उठाया जा रहा है कि राज्य के दूसरे जनपदों में भी फसल न बेच पाने वाले छोटे किसान दूसरे राज्यों में कैसे अपनी उपज बेच पायेंगे। आशंका जताई जा रही है कि कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से किसान अपने ही खेतों में श्रमिक बन जायेगा। साथ ही आवश्यक वस्तु संशोधन बिल के जरिये जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा, जो किसान व उपभोक्ता के हित में नहीं है। वहीं सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी की सुविधा बरकरार रहेगी। साथ ही किसान बिचौलियों के चंगुल से मुक्त होगा।