नयी दिल्ली, 16 अक्तूबर (एजेंसी)
पंजाब के सरसों के खेतों में और स्विट्जरलैंड के घास के मैदानों में प्यार की कहानियां दर्शाने वाली फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ 25 साल पहले आई थी और सिनेमा के इतिहास की शानदार फिल्म बन गयी। भारत की सबसे सफल फिल्मों में गिनी जाने वाली इस फिल्म में पिछले कुछ दशकों की सिनेमा की सबसे लोकप्रिय शाहरुख खान और काजोल की जोड़ी का जादू दर्शकों पर जमकर चला। समय के साथ भी इस फिल्म का जादू कम नहीं हुआ और अनेक दर्शकों ने इसे कई बार देखा है। फिल्म की प्रेम कहानी आज भी ताजा है। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि यह समकालिक हकीकतों से मेल नहीं खाती। राज-सिमरन के रोमांस की कहानी वाली यह फिल्म 20 अक्तूबर 1995 को रिलीज हुई थी। फिल्म विदेशों में रहने वाले भारतीयों के अंदर बसी भारतीयता को भी छूती है। मुंबई के मराठा मंदिर में फिल्म 25 साल से लगी हुई है और इस साल मार्च में कोविड-19 लॉकडाउन लगने से पहले तक दर्शक इसे देखने आते रहे। मशहूर फिल्मकार यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बनी पहली फिल्म में अमरीश पुरी, फरीदा जलाल और अनुपम खेर के भी प्रमुख किरदार थे।
शोले के बाद सबसे प्रभावशाली
वरिष्ठ फिल्म समीक्षक सैबाल चटर्जी के अनुसार ‘डीडीएलजे’ हिंदी सिनेमा पर अपना असर दिखाने के मामले में 1975 में आई ‘शोले’ के बाद दूसरी फिल्म है। कहानी एक एनआरआई दंपती की है जो अपनी शर्तों पर जीते हैं, लेकिन दिल से पूरी तरह भारतीय हैं।
‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी’
मथुरा निवासी पूर्व स्कूल प्राचार्य 84 वर्षीय प्रेमा महर्षि जब फिल्म को याद करती हैं तो उन्हें इसका सबसे लोकप्रिय संवाद ‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी’ सबसे पहले याद आता है। वह हल्के-फुल्के अंदाज में कहती हैं, ‘एक बात मुझे तब भी सोचने पर मजबूर कर देती थी कि शाहरुख ने ट्रेन रोकने के लिए चेन क्यों नहीं खींची।’