मिसाइलमैन अब्दुल कलाम हमेशा ही ऊर्जा से लबरेज रहते थे। एक बार एक युवा ने उनसे पूछा कि आपने देश का सर्वोच्च राष्ट्रपति पद भी पा लिया। फिर भी हर दिन इतना काम क्यों करते हैं। कलाम ने उत्तर दिया था कि ‘पहले कामों की सिद्धि और सुख के बीच का गणित समझा जाए। जीवन में सिद्धि का अर्थ संघर्ष है, जो प्रत्येक क्षण हमारे साथ लगा रहता है। शायद इसीलिए कई बार लोगों ने समझा है कि जीवन में जब संघर्ष समाप्त हो जाएगा, उस समय सुख आएगा। इसलिए कई लोग सुख का अर्थ रिटायरमेंट समझते हैं क्योंकि तब उन्हें अपने अनुसार काम करने की छूट होगी। कई लोग सोचते हैं कि सुख का मतलब छुट्टी पर जाकर मौज-मस्ती करना है। मोटे तौर पर कहा जाए कि जब जिम्मेदारियां न निभानी पड़े और कोई काम-काज न करना पड़े तो सुख उसी को मान लिया गया है। जबकि सुख का अर्थ कर्म शून्य होना कतई नहीं है। कुदरत से हमें यह जीवन कर्म करने के लिए मिला है न कि सुखों का हिसाब रखने के लिए।’
प्रस्तुति : पूनम पांडे