विश्व के प्रसिद्ध अरबपतियों में सर रुथ चाइल्ड भी एक थे। एक दिन उनके घर एक कम्युनिस्ट सज्जन आए और उन्हें उनके धन संग्रह पर बुरा भला सुनाने लगे, ‘मिस्टर रुथ, भला यह कहां का इंसाफ है। दुनिया में ऐसे कितने ही लोग हैं, जिनके सिर पर छत नहीं है, पेट में रोटी नहीं है और तन पर कपड़े नहीं है और आप अरबों की दौलत पर चौकड़ी जमाए बैठे हैं। आप की इस धनराशि पर संसार के सभी लोगों का समान हक है।’ उनका तर्क सुनकर रुथ गम्भीर हो गए और एक कागज पेन लेकर कुछ हिसाब-किताब लगाने लगे। फिर थोड़ी देर बाद अपनी जेब से दो पेंस निकालकर अतिथि सज्जन के हाथ पर रख दिए। वह सज्जन आश्चर्य से बोले, ‘मिस्टर रुथ, यह क्या है? मैं समझा नहीं।’ रुथ शालीनता से कहने लगे, ‘मैंने अभी हिसाब लगाया है कि संसार की जनसंख्या के अनुसार एक व्यक्ति के हिस्से में कितना धन आएगा। यह दो पेंस आपके हिस्से का धन है। आप अपना हिस्सा ले जाइए। जैसे-जैसे बाकी लोग भी आते जाएंगे, उनको भी उनका हिस्सा मिलता रहेगा और आपकी शिकायत भी दूर हो जाएगी।’ वह सज्जन लज्जित होकर उठकर चले गए। प्रस्तुति : मुकेश कुमार जैन