एलमौ (जर्मनी), 28 जून (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा एक बेहद चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है और जब वैश्विक तेल व्यापार की बात आती है तो भारत वह कदम उठाता रहेगा, जिसे वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हित में श्रेष्ठ समझता है। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी7 के दोनों सत्रों में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट किया। क्वात्रा के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने शत्रुता को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया और विवाद सुलझाने के लिए कूटनीति एवं वार्ता का मार्ग अपनाने की वकालत की।
क्वात्रा से जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन एजेंडे को लेकर सवाल किया गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत पर किसी प्रकार का दबाव है? इसके जवाब में क्वात्रा ने कहा, ‘पूर्ण सत्र के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच की स्थिति स्वाभाविक रूप से चर्चा का एक महत्वपूर्ण बिंदु थी। मैं समझता हूं कि जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने हमारी जो स्थिति बयां की, उसे अच्छी तरह से समझ लिया गया। मैं यह भी कहूंगा कि अन्य देशों के उनके समकक्ष नेताओं ने इसकी सराहना की।’
यूएई के राष्ट्रपति ने की मोदी की अगवानी
अबुधाबी (एजेंसी) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यहां संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नवनियुक्त राष्ट्रपति और अबूधाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने और उसमें विविधता लाने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने यूएई के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर संवेदना व्यक्त की। एक विशेष सद्भाव के तहत, शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ शेख मोहम्मद प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर मौजूद थे। मोदी ने अरबी एवं अंग्रेजी भाषाओं में ट्वीट किया, ‘मैं अपने भाई शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के विशेष सद्भाव से प्रभावित हूं जो मेरी अगवानी के लिए अबुधाबी हवाई अड्डे पर आए। उनका आभारी हूं।’
जी-7 का यूक्रेन के समर्थन का संकल्प
जी7 देशों के नेताओं ने मंगलवार को रूस के आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन का समर्थन करने का संकल्प लिया। नेताओं ने एकजुट रुख अपनाया कि जब तक आवश्यक होगा, तब तक यूक्रेन का समर्थन किया जाएगा। इसके साथ ही कहा गया कि तेल की बिक्री से रूस को होने वाली आय को सीमित करने के लिए दूरगामी कदमों की संभावना का पता लगाया जाएगा। जर्मनी में जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन के बाद जारी अंतिम बयान में रूस पर ‘गंभीर और तत्काल आर्थिक सख्ती’ के इरादे को रेखांकित किया गया।