संयुक्त राष्ट्र, 19 जून (एजेंसी)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक दुर्लभ कदम उठाते हुए म्यामां की सैन्य सरकार के खिलाफ व्यापक वैश्विक विरोध प्रकट करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर देश में सैन्य तख्तापलट की निंदा की है, उसके खिलाफ शस्त्र प्रतिबंध का आह्वान किया है तथा लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बहाल करने की मांग की है। हालांकि भारत समेत 35 देशों ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत का कहना है कि मसौदा प्रस्ताव उसके विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करता।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को ‘म्यामां में स्थिति’ मसौदा प्रस्ताव को स्वीकृत किया। इसके पक्ष में 119 देशों ने मतदान किया जबकि म्यामां के पड़ोसी देश भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल, थाईलैंड और लाओस समेत 36 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। बेलारूस एकमात्र ऐसा देश था जिसने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने बताया, ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश आज का मसौदा प्रस्ताव पड़ोसी एवं क्षेत्रीय देशों से सलाह किये बगैर जल्दबादी में लाया गया। यह न सिर्फ गैरमददगार है बल्कि म्यामां में मौजूदा स्थिति का समाधान तलाशने के लिए आसियान के प्रयासों के प्रतिकूल भी साबित हो सकता है।’ महासभा कक्ष में मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं होने के फैसले की व्याख्या करते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि म्यामां का निकट पड़ोसी देश होने और वहां के लोगों का करीबी मित्र होने के नाते भारत वहां ‘राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर प्रभाव’ और म्यामां की सीमाओं से परे इसके फैलने की संभावना से अवगत है। भारत सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यापक स्तर पर देशों की भागीदारी का आह्वान करता है।