काठमांडू, 4 मई (एजेंसी)
भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि नाबालिगों से संबंधित साइबर अपराधों से निपटने के लिए किशोर न्याय प्रणालियों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ नेपाल के प्रधान न्यायाधीश (सीजेएन) बिश्वम्भर प्रसाद श्रेष्ठ के निमंत्रण पर नेपाल की तीन-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। किशोर न्याय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और उनकी अनूठी जरूरतों को पहचानना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणालियां समाज में सहानुभूति, पुनर्वास को बढ़ावा दें।’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास तेजी से हो रहा है और किशोर हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी व डिजिटल उत्पीड़न जैसे साइबर अपराधों में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल युग में युवाओं को शिक्षित और सुरक्षित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। डिजिटल साक्षरता, जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार तथा प्रभावी अभिभावक मार्गदर्शन पर जोर देना जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण घटक साबित होगा।’ उन्होंने कहा कि किशोर न्याय प्रणालियों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तंत्र को बढ़ाकर और किशोरों से जुड़े डिजिटल अपराधों की अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति से निपटने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके सामंजस्य स्थापित करना चाहिए।
सीजेआई ने कहा, ‘इसमें प्रत्यर्पण और स्वदेश वापसी के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना साझा करना और सहयोग को सुविधाजनक बनाना शामिल है।’ उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर, बाल संरक्षण नियमों में विशिष्ट प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि किशोर न्याय प्रणाली में शामिल सभी हितधारकों के पास बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान व कौशल हैं।