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Syria Violence सीरिया में बर्बर हिंसा, दो दिन में 1,000 से अधिक लोगों की मौत

बेरूत, 9 मार्च (एजेंसी) Syria Violence  सीरिया में अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच दो दिनों तक जारी भीषण संघर्ष में मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई है। इसमें लगभग 750 आम...
सीरियाई सैनिक लटकिया की ओर रवाना, असद समर्थक लड़ाकों से मुकाबले के लिए अलेप्पो में सैन्य वाहन में जाते हुए। (रॉयटर्स)
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बेरूत, 9 मार्च (एजेंसी)

Syria Violence  सीरिया में अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच दो दिनों तक जारी भीषण संघर्ष में मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई है। इसमें लगभग 750 आम नागरिक शामिल हैं। यह जानकारी मानवाधिकार संगठन ने दी है।

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सीरिया में 14 साल पहले शुरू हुए संघर्ष के बाद यह हिंसा की सबसे भीषण घटनाओं में से एक मानी जा रही है। ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन 'सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' के अनुसार, मारे गए लोगों में 745 नागरिकों के अलावा, 125 सरकारी सुरक्षा बलों के जवान और 148 चरमपंथी शामिल हैं, जो असद समर्थित सशस्त्र समूहों से जुड़े थे।

जनजीवन प्रभावित, बिजली-पानी की किल्लत

संघर्ष के कारण तटीय शहर लताकिया के आसपास बिजली और पेयजल आपूर्ति ठप हो गई है। कई बेकरी भी बंद हो गई हैं, जिससे आम जनता को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है।

नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती

सीरिया में तीन महीने पहले विद्रोही गुटों ने असद को अपदस्थ कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। बृहस्पतिवार को शुरू हुई यह हिंसा नई सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। सरकार का कहना है कि यह संघर्ष असद समर्थकों के हमलों का जवाब देने के लिए किया जा रहा है, जबकि उन्होंने इस हिंसा के लिए "अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की गई कार्रवाइयों" को जिम्मेदार ठहराया।

कैसे भड़की हिंसा?

हिंसा की शुरुआत तब हुई जब सुरक्षा बलों ने बृहस्पतिवार को तटीय शहर जबलेह में एक वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इसी दौरान असद समर्थकों ने सुरक्षाकर्मियों पर घात लगाकर हमला कर दिया। इसके जवाब में सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों ने शुक्रवार को असद के अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों की हत्याएं शुरू कर दीं।

सड़कों पर बिखरे शव, लोगों में भय

अलावी समुदाय के लोगों ने समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि बंदूकधारियों ने अधिकांश पुरुषों को उनके घरों के दरवाजे पर ही गोली मार दी। सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से एक बनियास के निवासियों ने कहा कि शव सड़कों और इमारतों की छतों पर पड़े हैं, लेकिन उन्हें उठाने वाला कोई नहीं है।

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