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दूसरी लीड- (अपडेट) दुनिया को कार्यबल की जरूरत, नये संबंध बनेंगे

एच-1बी विवाद के बीच अमेरिका में बोले जयशंकर
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न्यूयॉर्क, 28 सितंबरविदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया को बड़े पैमाने पर वैश्विक कार्यबल की जरूरत होगी और अनिश्चितताओं के बावजूद नयी व्यापार व्यवस्थाएं उभरकर सामने आएंगी। जयशंकर ने वैश्विक समीकरणों में बदलाव के बीच आर्थिक संबंधों में विविधता लाने के लिए लातिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों पर भी प्रकाश डाला।

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें वार्षिक सत्र से इतर 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन' (ओआरएफ) के कार्यक्रम में जयशंकर ने शनिवार को कहा कि अनिश्चितताओं के बावजूद व्यापार अपना रास्ता बनाता रहेगा। उन्होेंने कहा, हम नयी व्यापार व्यवस्थाएं, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी और कार्यस्थल मॉडल देखेंगे, जो कम समय में वैश्विक परिदृश्य को बहुत अलग बना देंगे। उन्होंने कहा कि भारत व्यापार एवं साझेदारी को और आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखता है, वह पहले से ही लातिन अमेरिका एवं कैरिबियाई देशों के साथ संपर्क में है। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अशांत माहौल में अधिक आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए क्षमता निर्माण अहम है। उन्होंने कहा कि भारत में इस पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

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जयशंकर की यह टिप्पणी अमेरिका के एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर सालाना एक लाख डॉलर किए जाने और रूसी तेल की खरीद को लेकर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के हालिया कदमों के बीच आई है।

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अपने विकल्प चयन की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा भारत :

संयुक्त राष्ट्र (एजेंसी) : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और यह समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांतों- आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास पर आगे बढ़ रहा है। जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘आत्मनिर्भरता का अर्थ है अपनी क्षमताएं, ताकत बढ़ाना और अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ने देना। भारत में निर्माण और नवाचार से विश्व को भी लाभ होता है।’ जयशंकर ने आत्मरक्षा पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि भारत अपने लोगों की रक्षा और देश व विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना, सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विभिन्न देशों के साथ साझेदारी कायम करना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना है।’

जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय में जब यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो अहम संघर्ष जारी हैं, तो यह प्रश्न अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा, ‘हममें से प्रत्येक के पास शांति और समृद्धि में योगदान देने का अवसर है। भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और शांति बहाल करने में मदद करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा।’

व्यापार के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा, ‘अब हम शुल्क में अस्थिरता और अनिश्चित बाजार का सामना कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, जोखिम से बचना अहम होता जा रहा है, चाहे वह आपूर्ति के सीमित स्रोतों से हो या किसी खास बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से।’

 

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