कीव, 12 जून (एजेंसी) यूक्रेन और ब्रिटेन के अधिकारियों ने शनिवार को चेतावनी दी कि रूसी सेना बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाले घातक हथियारों का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों पर कब्जा करने के उद्देश्य से और अधिक घातक हथियारों का इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि लंबे समय से चले आ रहे युद्ध के कारण दोनों ही देशों के संसाधनों में कमी आई है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस बात की आशंका है कि रूसी बमवर्षक विमान यूक्रेन में जहाज-रोधी मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन मिसाइलों का इस्तेमाल पहली बार 1960 के दशक में किया गया था। केएच-22 मिसाइलों को प्रमुख रूप से विमान वाहक युद्धपोतों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया जाता है। जब पारंपरिक रूप से केएच-22 मिसाइलों का इस्तेमाल जमीनी हमलों में किया जाता है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान भी हो सकता है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार रूस 5.5 टन वजन वाली जहाज-रोधी मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।