इस्लामाबाद, 5 अप्रैल (एजेंसी)
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गये अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि अदालत केवल अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और बाद में नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए डिप्टी स्पीकर द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का पता लगाना चाहती है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत यह देखना चाहती है कि क्या पीठ द्वारा उपाध्यक्ष के फैसले की समीक्षा की जा सकती है। अदालत बुधवार को भी मामले पर सुनवाई करेगी।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसद रजा रब्बानी और वरिष्ठ वकील मखदूम अली खान ने अदालत में अपनी दलीलें पेश की। रब्बानी ने कहा, जो कुछ भी हुआ है, उसे केवल सिविलियन मार्शल लॉ कहा जा सकता है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-95 का हवाला देते हुए कहा, ‘बिना मतदान के किसी भी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता।’ रब्बानी ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जानबूझकर विदेशी साजिश की एक कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया।
गौर हो कि नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने सरकार गिराने की विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पीएम इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला यदि इमरान खान के अनुकूल होता है तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे। यदि अदालत डिप्टी स्पीकर के खिलाफ फैसला सुनाती है तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जाएगा और इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा।
चुनाव कराने को तैयार : निर्वाचन आयोग
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह देश में आम चुनाव कराने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करेगा। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि आम चुनाव अगले तीन महीने में नहीं हो सकते।’