कोलंबो, 12 अप्रैल (एजेंसी)
श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने को लेकर सरकार के रवैये से नाराज़ दो असंतुष्ट सदस्य इस्तीफा देने के बाद पार्टी में दोबारा वापस लौट आये हैं जिसके बाद संकटग्रस्त राजपक्षे परिवार को इस मुश्किल समय में एक जरूरी सहारा मिल गया है। श्रीलंका में चौथे दिन भी सरकार के विरोध में प्रदर्शन जारी रहा। सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के विरोध में इस्तीफा देने वाले सदस्यों सहित पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के शांता बंडारा ने दोबारा राज्य के मंत्रियों के रूप में शपथ ले ली है। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के अलावा, पिछले हफ्ते पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया था। यह ऐसे समय में हुआ जब देश 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सत्ता में अपने पद पर काबिज़ हैं। राजनीतिक रूप से शक्तिशाली परिवार होने के बावजूद वह जनता के गुस्से का केंद्र हैं। राजपक्षे परिवार के पांच अन्य सदस्य विधायक हैं जिनमें से तीन ने पिछले रविवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी से असंतुष्ट सदस्यों के एक समूह ने राष्ट्रपति राजपक्षे से ‘सर्वदलीय एकता मंत्रिमंडल’ बनाने के प्रस्ताव पर विचार करने का सुझाव देते हुए पूरे राजपक्षे परिवार को सत्ता से हटने का आग्रह किया था। रविवार रात हुई वार्ता बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई। हालांकि सूत्रों के मुताबिक अंसतुष्ट सदस्यों के रूख में नरमी आने के बाद राजपक्षे मंगलवार को अपना मंत्रिमंडल नियुक्त कर सकते हैं। कैबिनेट के इस्तीफे के बाद अब तक केवल चार सदस्यों की नियुक्ति हुई है।