सियोल, 24 दिसंबर (एजेंसी) दक्षिण कोरिया की सरकार ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के जुर्म में जेल में बंद पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे को विशेष क्षमादान देगा। न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि पार्क को क्षमादान देने का मकसद अतीत की खाइयों को पाटना और कोरोना वायरस संक्रमण के मुश्किल वक्त में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। मंत्रालय ने कहा कि 69 वर्षीय पार्क उन 3,094 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 31 दिसंबर को क्षमादान दिया जाना है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने एक वक्तव्य में कहा, ‘हमें अतीत की पीड़ाओं को भूलकर एक नए युग की शुरुआत करनी चाहिए। अतीत में ही उलझे रहकर एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के बजाय देश के भविष्य के लिए अपनी पूरी क्षमता को साथ मिल कर सही दिशा में लगाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, ‘पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून के मामले में, हमने इस तथ्य पर विचार किया कि लगभग पांच साल जेल में रहने के कारण उनका स्वास्थ्य काफी खराब हो गया है।’ गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के मामले में पार्क के खिलाफ कई महीनों तक देश में प्रदर्शन हुए थे और इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। पूर्व राष्ट्रपति को 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जनवरी 2021 में देश के उच्चतम न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति की 20 साल की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। पार्क, दिवंगत राष्ट्रपति पार्क चुंग ही की बेटी हैं और वह देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।